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आधुनिक शिक्षा, संस्कार एवं राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियां देता विश्वविद्यालय

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डॉ. के.एस. राणा,
कुलपति,
कुमाऊं विश्वविद्यालय

एक ओर जहां देश भर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आए दिन विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन तोड़फोड़ एवं देश विरोधी नारेबाजी हो रही है। परीक्षाओं में व्यवधान उत्पन्न कर होनहार छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। और इस समाज विरोधी कृत्य में केवल छात्र ही नहीं बल्कि शिक्षक भी बराबर की भागीदार हैं जो इन छात्रों को गलत मार्गदर्शन देकर इस और बढ़ावा दे रहे हैं। यह बड़ी एवं केंद्रीय संस्थाएं हैं जिन्हें भारत सरकार की एक बहुत बड़ी वित्तीय व्यवस्था से संचालित किया जाता है। लेकिन इन देश के संविधान की रक्षा की बात कहने वाले एवं समाज में बदलाव की बात कहने वाली संस्थाओं के अलावा मेरा कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल अपनी एक अलग पहचान रखता है।

यहां पर दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों, देश के अलग-अलग कोनों एवं सभी प्रदेशों के छात्र-छात्राएं अध्ययन के लिए आते हैं। संसाधनों के अभाव के बावजूद मेरा विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के विकास में रोज नए आयाम स्थापित कर रहा है। त्रिऋषी सरोवर नैनीताल, स्वामी विवेकानंद जी की तपोभूमि काकड़ीघाट एवं बाबा नीम करोरी महाराज की तपोभूमि के इर्द-गिर्द स्थापित इसके सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा, देव सिंह बिष्ट परिसर नैनीताल एवं भीमताल परिसर अध्यापन के लिए एक शांतिपूर्ण एवं आध्यात्मिक माहौल भी देते हैं ।

विगत लगभग एक सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. के.एस. राणा जी द्वारा विश्वविद्यालय के स्तर को सुधारने के लिए काफी प्रयास किए गए। विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं को देश के महापुरुषों से जुड़ने के उद्देश्य से कई कार्य किए गए जिसमें प्रमुख निम्नलिखित हैं-

  • विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के समीप स्थित हरमिटेज भवन का नाम बदलकर “स्वामी विवेकानंद भवन” किया गया। जहां पर आध्यात्मिक विकास कार्यों हेतु “स्वामी विवेकानंद पीठ” का गठन किया गया । स्वामी विवेकानंद परिसर में योग एवं दर्शन विषयों को भी नए सत्र से प्रारंभ करने हेतु कार्य संपन्न किए जा चुके हैं।
  • पत्रकारिता, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, पुस्तकालय विज्ञान आदि विषयों को एक सूत्र में पिरोकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी के नाम पर अटल पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग नामांतरण किया गया। जिससे छात्रों को मार्गदर्शन मिल सके की अटल जी एक सफल राजनेता के साथ-साथ उच्च कोटि के कवि एवं पत्रकार भी थे।
  • विश्वविद्यालय में संचालित नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग का नाम प्रखर राष्ट्रवादी प्रोफेसर राजेंद्र सिंह “रज्जू भैया” के नाम पर रखा गया।
  • ब्रिटिश कालीन नामों से जाने जा रहे एसआर, लंगम और केनफील्ड छात्रावासों के नाम क्रमशः वन आंदोलन की जननी “गौरा देवी” ,स्वतंत्रता आंदोलन की वीरांगना “रानी लक्ष्मीबाई” एवं आजादी के वीर सपूत “नेताजी सुभाष चंद्र बोस” जी के नाम पर किया गया।
  • लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी के नाम पर डीएसबी परिसर में स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई।
  • विगत बारह वर्षों से विचाराधीन भीमताल स्थित परिसर को पूर्ण परिसर के रूप में कुलपति जी के प्रयासों से मान्यता मिली। जहां पर बीकॉम आनर्स एवं बी.एस.सी. की कक्षाएं प्रारंभ करने के आदेश कुलपति जी द्वारा किये जा चुके हैं, जो छात्र हितों के लिए एक सुखद पहल है। पौधों में भी जीवन होता है, बताने वाले प्रकांड वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस जी के नाम पर तकनीकी परिसर भीमताल का नामकरण “सर जे. सी. बोस परिसर” किया गया।
  • स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, विद्वान अधिवक्ता एवं प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के नाम पर उच्च न्यायालय नैनीताल के समीप “स्वामी विवेकानंद भवन” में विधि विभाग की स्थापना का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है।
  • महात्मा गांधी जी के विचारों के प्रचार-प्रसार हेतु “गांधी अप्रवासी भारतीय अध्ययन केंद्र” की स्थापना की गयी है।
  • स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वीर सावरकर जी के नाम पर अल्मोड़ा परिसर स्थित सभागार का नामकरण “वीर सावरकर सभागार” किया गया।
  • राष्ट्रवादी कवियत्री महादेवी वर्मा जी के नाम पर पूर्व से ही विश्वविद्यालय में “महादेवी वर्मा सृजन पीठ” स्थापित है।
  • गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के नाम पर भीमताल परिसर में शिक्षा संकाय की स्थापना एवं इसके लिए चार करोड़ रुपये रूसा परियोजना में कुलपति जी ने स्वीकृत करवाए।

आज एक तरफ देश विरोधी नारे लगाने वाले छात्रों एवं आतंकवादियों को संभ्रांत विश्वविद्यालयों के छात्र अपना आदर्श मानकर देश की व्यवस्थाओं में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। वही दूसरी तरफ हम सभी कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र स्वामी विवेकानंद, रानी लक्ष्मीबाई , महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, लौह पुरुष सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, पं. दीनदयाल उपाध्याय, भगत सिंह जैसे महापुरुषों एवं भारत माता की सुरक्षा के लिए शहीद होने वाले वीर जवानों को अपना आदर्श मानने वाले छात्र हैं। जहां एक ओर आज का युवा देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में अपना जीवन पर्यंत न्योछावर करने वाले महापुरुषों को भूलने लगा है। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के यह प्रयास युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। यही सब हमें देश के आधुनिक एवं अत्यधिक सुविधा संपन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों से अलग स्थान प्रदान करते हैं। सरकारों को भी चाहिए कि ऐसे क्षेत्रीय शैक्षिक संस्थाओं के विकास हेतु वित्तीय एवं मूलभूत साधनों की पूर्ति करने हेतु आवश्यक प्रयास किए जाएं।

युवा वर्ग को भी समझना होगा कि इन बेफिजूल के प्रदर्शन और देश विरोधी घटनाओं से देश की छवि पूरे विश्व में धूमिल हो रही है। हमारी ऐसी कृत्य देश विरोधी ताकतों एवं विश्व के अन्य देशों को हमारी सरकार की नीतियों, देश एवं सरकार पर हमला करने का मौका देते हैं। हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है कि हम अपने संस्कारों और अपने कर्मों से अपने भारत वर्ष का मान सम्मान बढ़ाएं रखें। मेरा विश्वविद्यालय मुझे आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ, संस्कार एवं राष्ट्र के प्रति मेरी जिम्मेदारियों का भी ज्ञान देता है।

मुझे गर्व है कि मैं कुमाऊं विश्वविद्यालय का छात्र हूं।
-हरीश सिंह राणा एवं मोहित रौतेला पूर्व अध्यक्ष
-विशाल वर्मा अध्यक्ष, छात्र संघ नैनीताल
-दीपक उप्रेती अध्यक्ष, एसएसजे परिसर अल्मोड़ा

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