आगरा। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर स्थित जे पी सभागार में एनएसएस स्वयं सेवकों का अधिवेशन आयोजित किया जा रहा है। जिसमें 6 राज्यों के तकरीवन 200 स्वयं सेवक प्रतिभाग कर रहे हैं। आयोजन में जहां गणतंत्र दिवस से पूर्व सांस्कृतिक और शारीरिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, तो वहीं दोपहर बाद बौद्धिक सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप मे प्रमुख उद्योगपति पूरद डाबर मौजूद रहे। जिन्होंने मंच से स्वयंसेवकों को जीवन में कामयाब होने के व्यावहारिक उदारहरण प्रस्तुत करते हुए भाविष्य निर्माण का मूल मंत्र समझाया। अपनी सरल और स्पष्ट भाषा में उन्होंने कहा कि कोई भी काम छोटा नहीं होता, अगर मन में ठान लिया जाय, तो एक छोटे से कार्य को भी बड़ा रूप दिया जा सकता है।
कैसे बनाये व्यवसाय को ब्रांड?
इस बौद्धिक सत्र के दौरान स्वयंसेवक एकाग्रमन से मुख्या वक्ता कि एक-एक बात को सुनते दिखाई दिए। वहीं तमाम स्वयं सेवकों ने उनके मार्गदर्शन का अनुसरण किया। साथ ही किसी भी व्यवसाय को स्थापित करने से लेकर उसके ब्रांड बनाने तक के विषय में अपने सवाल किए। जिनका उद्योपति पूरन डाबर ने मंच से तर्कपूर्ण जवाब देते हुए सभी की जिज्ञासाओं का समाधान किया। बौद्धिक सत्र में मुख्य वक्ता द्वारा ऐसे ऐसे उदहारण प्रस्तुत किये गए जिन्हें जीवन में अपनाने से निश्चित रूप से सफलता हाथ लगने से कोई नहीं रोक सकता।
आपको बतादें एनएसएस के इस सत्र में 6 राज्यों के स्वयंसेवक प्रतिभाग कर रहे हैं। जिसमें व्यावहारिक ज्ञान के साथ देश और समाज के तमाम मुद्दों पर मंथन किया जा रहा है। साथ ही स्वयंसेवकों को बेहतर राष्ट्र निर्माण की दिशा में भूमिका निभाने के प्रति तैयार किया जा रहा है। बौद्धिक सत्र में बतौर मुख्य वक्ता प्रमुख उद्योगपति पूरन डाबर ने उपस्थितजनो को जीवन के खट्ठे-मीठे पलों से रूबरू कराया। साथ ही उद्योगपति बनने के सफर को प्रस्तुत किया।
प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए पूरन डाबर ने कहा कि अपने जीवन का लक्ष्य साधकर उसपर कड़ी मेहनत करने से और सही मैनेजमेण्ट के माध्यम से किसी भी व्यवसाय को एक ब्राण्ड के रूप में विकसित किया जा सकता है। बात अगर शिक्षित युवाओं की करें तो वो किसी भी काम को बेहतर टेक्नोलाॅजी और डिजीटल के माध्यम से ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। जरूरत है अपने आत्मविश्वास को जगाने की और सही तरीके से उसपर कार्य करने की। इस दौरान मुख्य वक्ता के तर्कों पर स्वयंसेवकों ने जमकर तालियां बजाईं।
इस बौद्धिक सत्र में अन्य वक्ताओं ने भी अपने-अपने वक्तव्य दिए। स्वयंसेवकों के व्यक्तित्व निर्माण कि दिशा में आयोजित हो रहे इस सत्र का मूल उद्देश्य एक बेहतर समाज और राष्ट्र का निर्माण करना है। इस सत्र में विभिन्न राज्यों से पधारे एनएसएस के पदाधिकारी, सदस्य और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।