Home Business कहाँ घर खरीदें और कहा किराए पर लें अब होगा आसान

कहाँ घर खरीदें और कहा किराए पर लें अब होगा आसान

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नई दिल्ली। कई लोग उलझन की स्थिति में रहते हैं कि घर खरीदें या किराए पर ही रहें। अर्थयंत्र की Buy Vs Rent रिपोर्ट 2019 देशभर के 12 शहरों में रियल एस्टेट ट्रेंड को ट्रैक करती है। इसकी मदद से आपको यह समझने में मदद मिलती है कि आपके लिए किन जगहों पर घर खरीद सकते हैं और कहां आपके लिए किराए पर रहना ही फायदेमंद है।

क्या है घर की कीमते

कीमत और किराया दोनों की कैलकुलेशन 1,000 स्क्वायर फीट रेडी टू मूव रेजिडेंशल प्रॉपर्टी के लिए की जाती है।
बेसलाइन सालाना ग्रॉस इनकम 8 लाख रुपये मानी जाती है।
घर की कुल कीमत के 20 प्रतिशत को शुरुआती डाउन पेमेंट अमाउंट के तौर पर गिना जाता है।
होम लोन की अवधि आमतौर पर 15 साल होती है।
आमतौर पर होम लोन के लिए ब्याज दर 8।55 प्रतिशत प्रति वर्ष होती है।
घर खरीदने के लिए किसी व्यक्ति की कुल सालाना इनकम में 25 प्रतिशत सेविंग होनी चाहिए।
हर महीने दी जाने वाली ईएमआई, हर महीने इन हैंड आने वाली सैलरी की 50 प्रतिशत होती है।
प्रॉपर्टी टैक्स की बात करें तो यह प्रॉपर्टी की कुल वैल्यू की 1।5 प्रतिशत होती है।
ईएमआई और डाउन पेमेंट की कैलकुलेशन के लिए प्रॉपर्टी का मूल्यांकन नहीं होता।
अलग-अलग शहर के आधार पर किराए के लिए सिक्यॉरिटी डिपॉजिट अलग-अलग होता है।

कितनी बड़ी प्रॉपर्टी की कीमतें

किसी घर को खरीदते या किराए पर लेते समय मुख्य वजह है कि मकान की लागत के मद्देनजर कितना किराया मिल सकता है। जहां पिछले साल से अब तक प्रॉपर्टी की कीमतें 11 .59 प्रतिशत बढ़ी हैं वहीं किराए 9 .79 प्रतिशत बढ़ गए हैं।

खरीदने की क्षमता के बावजूद किराए पर ही रहते हैं?

आपके परिवार की इनकम पर निर्भर करता है कि आपको घर किराए पर लेना चाहिए या खरीदना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि घर खरीदने की क्षमता के बावजूद लोग किराए पर ही रहते हैं। ऐसा करने से आपको यह कैलकुलेट करने में मदद मिलेगी कि 8 लाख रुपये सालाना इनकम होने पर डाउन पेमेंट के पैसे बचाने में किसी परिवार को कितने साल लग जाएंगे।

अपना घर बनाये इन शहरों में

इंदौर, जयपुर, अहमदाबाद, लखनऊ, कोच्चि, हैदराबाद, कोलकाता, बेंगलुरू, पुणे, चेन्नै, दिल्ली, मुंबई

इन शहरों में ले किराये पर घर

इंदौर, लखनऊ, जयपुर, कोच्चि, अहमदाबाद, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नै, पुणे, बेंगलुरू,दिल्ली, मुंबई

अर्जेंसी-टू-बाय (UTB) रैंकिंग

यह रैंकिंग लोगों को यह फैसला करने में मदद करती है कि उन्हें घर खरीदना चाहिए या नहीं। UTB रेशियो से पता चलता है कि प्रॉपर्टी की कीमत के लिहाज से किराया कितना है।

हर महीने का औसत किराये की गणना, उसके किराए और मेंटनंस कॉस्ट को जोड़कर की जाती है जबकि खरीदने के लिए ईएमआई के साथ मेंटनंस कॉस्ट जोड़ी जाती है। हाई रेशियो से संकेत मिलते हैं कि खरीदना बेस्ट ऑप्शन है और लो रेशियो का मतलब होता है कि आपके लिए किराया ज्यादा बेहतर ऑप्शन है।

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