गाजर जहाँ सर्दियों में बेहद फादेमंद हैं वहीं इनके कई जगह लगाने से भी बहुत फायदे होते हैं। गाजर के प्राकृतिक गुणों को देखते हुए चिकित्सकों ने इसे गरीबों के लिए सेब के समान माना है, जो लोग सेब नहीं खरीद सकते, वे गाजर खाकर उतना ही लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इससे शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है। गाजर का रस पर्याप्त मात्रा में लेने से शरीर मोटा-ताजा और चुस्त हो जाता है।
गर्भावस्था में गाजर का रस पीते रहने से सैप्टिक रोग नहीं होता तथा शरीर में कैल्शियम की भी कमी नहीं रहती है। बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को नियमित रूप से गाजर के रस का सेवन करना चाहिए। इससे उसके दूध की गुणवत्ता बढ़ती है। गाजर का सेवन करने से पुराने दस्त, अपच और संग्रहणी रोग ठीक हो जाते हैं। गाजर का अचार बनाकर सेवन करने से बढ़ी हुई तिल्ली कम हो जाती है।आधे कप गाजर के रस में थोड़ी-सा सेंधा नमक मिलाकर 1 दिन में लगभग 4 बार चाटने से दस्त ठीक हो जाता है। यकृत के रोग से पीड़ित रोगी को गाजर का रस, गाजर का सूप या गाजर का गर्म काढ़ा सेवन कराने से लाभ मिलता है।
हृदय कमजोर होने पर रोजाना 2 बार गाजर का रस पीने से लाभ होता है। हृदय की धड़कन बढ़ना तथा शरीर का खून गाढ़ा होने पर गाजर का सेवन करने से लाभ मिलता है।
आग से जले हुए व्यक्ति की जलन और दर्द को दूर करने के लिए गाजर को पीसकर लगाना चाहिये। कच्ची गाजर को पीसकर आग से जले हुए स्थान पर रखने से जलन नष्ट हो जाती है और पीब भी नहीं बनती है। आग से जल जाने पर जले हुए स्थान पर गाजर का रस लगाने से जख्म नहीं बनता तथा जलन व पीड़ा दूर हो जाती है। शरीर के जले हुए भाग पर कच्ची गाजर का रस बार-बार लगाने से लाभ होता है।
250 मिलीलीटर गाजर का रस और पालक का रस मिलाकर पियें। इससे शरीर के खून में लाल कणों की वृद्धि होती है तथा इसके साथ ही इसके सेवन से कई प्रकार के रक्त चाप, फोड़ा, गुर्दे के रोग जैसे पेशाब बूंद-बूंद आना, पेशाब कम होना, पेशाब में सफेद पदार्थ आना, सांस की नली में सूजन, कैंसर, मोतियाबिन्द, सर्दी, जुकाम, कंठमाला (घेंघा रोग) और बवासीर आदि रोग भी दूर हो जाते हैं।
बड़ी आंत में सूजन आ जाने पर रोग को ठीक करने के लिए 200 मिलीलीटर गाजर का रस, 150 मिलीलीटर चुकन्दर का रस और 150 मिलीलीटर खीरे का रस मिलाकर पीने से लाभ मिलेगा। तो इस सर्द मौसम में जमकर गाजर का प्रयोग करें और सेहत को स्वस्थ रखें।