अक्टूबर में सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ

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    नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने माकपा नेता सीताराम येचुरी को पार्टी के पूर्व विधायक युसुफ तारिगामी से मिलने के लिए जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दी है। कोर्ट ने संचार माध्यमों में छूट देने को लेकर केंद्र सरकार से हफ्तेभर में जवाब मांगा है। अब अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं पर 5 जजों की संविधान पीठ अक्टूबर के पहले हफ्ते में सुनवाई शुरू करेगी।माकपा नेता सीताराम येचुरी और कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला समेत 10 से ज्यादा लोगों ने केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि येचुरी पार्टी के महासचिव के नाते अपने दोस्त और पूर्व विधायक से मिल सकते हैं, इसके अलावा राजनीतिक मकसद से कहीं न जाएं। येचुरी ने तारिगामी से मिलने की मांग की थी। इसके अलावा बेंच ने कश्मीर अखबार की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका पर इंटरनेट, लैंडलाइन और अन्य संचार माध्यमों में छूट देने को लेकर केंद्र से एक हफ्ते में जवाब मांगा। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में वार्ताकार नियुक्त करने की मांग ठुकराई।

    पूनावाला ने कहा स्थानीय नेताओं को नजरबंद करना है गलत
    पूनावाला ने याचिका में कहा है कि स्थानीय नेताओं को नजरबंद करना गलत है। यह अनुच्छेद 19 (बोलने की आजादी) और अनुच्छेद 21 (मौलिक अधिकारों) का उल्लंघन है। इसके अलावा नेशनल कांफ्रेंस सांसद मोहम्मद अकबर लोन, रिटायर्ड जस्टिस हसनैन मसूदी, पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल, जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद और राधा कुमार की ओर से भी याचिका दाखिल की गई हैं। वकील एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य में संचार पर पाबंदियां पत्रकारों के पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने की राह में बाधक बन रही हैं। अकबर लोन और मसूदी ने कहा है कि अनुच्छेद 370 अंवैधानिक तरीके से खत्म किया गया।

    कश्मीर घाटी में हालात हैं सामान्य
    वहीं, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को कहा कि एनडीए सरकार ने वोट के लिए अनुच्छेद 370 खत्म नहीं किया है। सरकार ने देश से किया अपना वादा पूरा किया है। फिलहाल, कुछ जिलों को छोड़कर कश्मीर घाटी में हालात सामान्य हैं। रेड्डी ने कहा कि हमारे पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था, इसके बावजूद हमने संसद में विधेयक पेश किया। हम जानते थे कि कुछ राजनीतिक दल जो तीन तालाक विधेयक के खिलाफ थे, वे इसका समर्थन करेंगे क्योंकि यह मुद्दा राष्ट्रीय एकीकरण से संबंधित है।

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