डॉक्टर के पेशे में हमें सीधे तौर पर लोगों की असीमित सेवा का मौका मिलता है उनके दु:ख दर्द को बांटने और उनको दूर करने की आत्मीय खुशी हमें इस प्रोफेशन से होती है। कुछ ऐसे जज्बात के साथ अपने प्रोफेशन में लगातार सफलता की ऊंचाइयां छू रहे आगरा के वरिष्ट चिकिस्कों में शुमार आगरा के जाने माने रेडियोलोजिस्ट डॉ. अजय बुलागन। अपने पिता स्व. श्री हरी किशन बुलागन और माँ स्व. मनोहर बाला बुलागन द्वारा दी गई सीखों को जीवन में प्राप्त सफलताओं का श्रेय देने वाले डॉ. अजय बुलागन पत्नी श्रीमती प्रीति की भूमिका को भी अपनी कामयाबी में अहम मानते हैं। वे अपने दोनों बेटे डॉ. आदर्श और अर्पित को वे हमेशा ईमानदारी के साथ काम करने की सीख देते हैं। डॉ. अजय बुलागन ने एक इन्टरव्यू के दौरान टीबीआई 9 से से बात की, जिसमें उन्होंने अपने मेडिकल प्रोफेशन और निजी जिन्दगी से जुड़े कई पहलुओं पर खुलकर अपनी बात रखी…
आपका बचपन कैसे बीता?
मेरा बचपन ग्वालियर में बीता, पिताजी गवर्मेंट एम्प्लोई थे। हमारी मिडिल क्लास फैमिली थी। दुर्भाग्य बस मेरे पिताजी का निधन बेहद कम उम्र में हो गया था। जब मैं महज 12 साल का था। मां भी पिताजी के स्वर्गवास के बाद लगभग 15 साल बाद गुजर गईं।
आपने एजूकेशन कहां से की?
मेरी स्कूलिंग से पीजी तक की सारी एजूकेशन ग्वालियर में ही हुई। 1883 में स्टेट पीएमटी में सलेक्शन के बाद मैंने ग्वालियर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया और फिर उसके बाद रेडियोलोजी में पीजी की पढ़ाई भी मैंने वहीं से की।
चिकित्सकीय पेशे को अपनाने की प्रेरणा किससे मिली?
पिताजी और माता जी चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं उनकी इस चाहत ने मुझे डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया।
आपका प्रोफेशन क्या कभी आपकी पर्सनल लाइफ के बीच आया?
इस प्रोफेशन में मुझे आज लगभग 30 साल हो गए समय के साथ लाइफ एडजस्ट हो जाती है। हालाँकि मेरी प्रोफेशन से मेरी पर्सनल लाइफ कभी प्रभावित नहीं हुई।
आपके अनुसार लाइफ का सक्सेज मंत्रा क्या है ?
मेरा मानना है मेहनत का फल जरुर मिलता है। आपकी सफलता आपकी मेहनत, लगन और आपके आत्मविश्वास पर निर्भर करती है।
इस प्रोफेशन में आगे बढऩे के लिए कोई ऐसी सीख जो आपको आपके पेरेंट्स से मिली?
मेरे पेरेंट्स ने हमेशा मुझे एक बात सिखाई जो भी काम करो मन लगाकर मेहनत के साथ अच्छी तरह से करो, साथ ही उन्होंने मुझे हमेशा सेल्फ डिसीजन लेने के लिए प्रेरित किया और यही सीख मेरे इस प्रोफेशन में आगे बढऩे के लिए सहयोगी बनी और यही सीख आज में अपने बच्चों को देता आया हूँ।
आप रेडियोलोजिस्ट हैं इस रूप में मरीज के इलाज में आपकी क्या भूमिका रहती है?
देखिये, आज की तारीख में बिना रेडियोलोजी के किसी भी बीमारी का निदान होना नामुमकिन है। एक्सरे से लेकर एमआरआई तक हर रूप में रेडियोलोजी की सेवाएं ली जाती हैं। हर बीमारी की जड़ तक पहुचना और उसकी वास्तविक स्थिति का पता करना रेडियोलोजी के जरिये ही मुमकिन हो पाता है।
मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग यानि एमआरआई क्या है?
एमआरआई एक मैग्नेटिक बेस तकनीकी है जिसमें एक चुम्बकीय मशीन में मरीज को लिटाकर उसकी पल्स वेब के जरिये एक इमेज बनाई जाती हैं, जिसको स्टडी करके डाइग्नोस बनाते हैं। एमआरआई आज सभी विधाओं में श्रेष्ठ मानी जाती है हालाँकि सभी का अपना महत्त्व है।
एमआरआई की टेक्नोलॉजी विकसित करने के पीछे क्या आवश्यकता रहीं?
शरीर के किसी भी हिस्से को बिना खोले देखना रेडियोलोजी पर ही निर्भर है। एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन इसमें हर चीज की अपनी सीमाएं हैं। इससे शरीर के कुछ विशेष हिस्से की जांच नहीं हो पाती थी। उन सबको देखने के लिए वैज्ञानिकों ने एमआरआई की तकनीक इजात की। आज एमआरआई इलाज में बहुत बड़ी आवश्यकता बन गई है।
एमआरआई की आज की विकसित अपग्रेड टेक्नोलॉजी के बारे में बिस्तार से बतायें?
एमआरआई में उसकी मैग्नेट पॉवर बढऩे के साथ इसका अपग्रडेसन हुआ है। पहले मैग्नेट के स्ट्रेंथ थोड़ी कम होती थी। धीरे-धीरे वो बढ़ती गई, जोकि 1.5 टेक्सला तक हो गई। आज पूरे विश्व की बात करें तो नाइंटी नाइन प्वॉइंट नाइन परसेंट हाईली अपग्रेड 3 टेक्सला वाले एमआईआई लगे हैं, जिससे हमको काफी क्लियर इमेज आती हैं जोकि किसी भी बीमारी की बारीकी से अध्यन करने में बेहद कारगर साबित होती है।
एमआरआई का इस्तेमाल शरीर के किन हिस्सों की जाँच के लिए किया जा सकता है?
बॉडी का ऐसा कोई पार्ट नहीं जिसकी जाँच एमआरआई से की जा सकती हो सूक्ष्म से सूक्ष्म कोशिकाओं से लेकर ज्वॉइंट्स के लिए, कैंसर के फैलाव को देखने के लिए, पेट के रोगों के लिए, मस्तिष्क के लिए, स्पाइरल कोड के लिए, हड्डियों के इन्फैक्शन आदि में एमआरआई के जरिये जांच की जाती है।
आप इसमें किस प्रकार की एमआरआई मशीन अपने सेंटर में इस्तेमाल कर रहे हैं?
देखिये आगरा में आज लगभग 7 से 8 एमआरआई मशीन हैं, जैसा कि मैंने बताया कि वल्र्ड की हाईली अपग्रेड 3 टेक्सला एमआईआई मशीन है जोकि आगरा के साथ साथ आसपास के शहर में सिर्फ हमारे यहां लगी है। कुछ ही साल पहले लॉन्च अत्याधुनिक सीमेंस कम्पनी की मशीन हमारे यहाँ लगी है।
युवा जो के मेडिकल के प्रोफेशन में आना चाहते हैं उनको क्या संदेश देना चाहेंगे?
स्काई इज नो लिमिट मेरा युवाओं से एक ही कहना है मेहनत करने की जज्बा होनी चाहिए। आप इस प्रोफेशन में बहुत कुछ कर सकते हैं।
एमआरआई परीक्षण को लेकर लोगों में भ्रातियां हैं कि इसका शरीर पर निगेटिव असर पड़ता है इसे कराने के लिए बहुत सावधानियों की जरूरत पड़ती है इस बात की क्या हकीकत है?
मैं स्पष्ट करना चाहूँगा एमआईआई एक बहुत ही सुरक्षित इन्वेस्टीगेशन है, जोकि गर्भवती महिलाओं और छोटे से छोटे बच्चे का भी किया जा सकता है एमआईआई की मैग्नेटिक रेज से बॉडी पर किसी प्रकार का कोई निगेटिव असर नहीं होता। हाँ, सीटी स्केन और एक्सरे में थोड़ी यह प्रॉब्लम रहती इसे गर्भवती महिलाओं पर नहीं किया जाना चाहिए जबकि एमआईआई इस मामले में पूरी तरह सुरक्षित है, एमआरआई कराने में सिर्फ एक या दो सावधानियों की जरूरत होती है। जैसा कि सभी जानते हैं मैग्नेट लोहे की धातु को अपनी और खीचती है तो जितना अधिक हाई स्ट्रेंथ का एमआरआई होगा उसकी पॉवर उतनी अधिक होती है इसलिए इस मशीन के लिए विशेष प्रकार के चैंबर बनाये जाते हैं। इसमें कुछ चीजों को लेकर जाना पूरी तरह वर्जित रहता है जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर, कोई भी लोहे की बनी वस्तु। अगर ऐसा किया तो दुर्घटना हो सकती है। इसलिए स्टाफ के बताये गये निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। हाँ जिन मरीजों के पेसमेकर लगा है। उनका एमआरआई नहीं किया जा सकता है, हालाँकि अब जो लेटेस्ट पेसमेकर लग रहे हैं उनमें कोई प्रॉब्लम नहीं, इस लिए जरुरी है पेसमेकर के मरीज एमआरआई से पहले डॉक्टर से जरुर कंसल्ट करें।
एक्सरे और सोनोग्राफी या सीटी स्कैनिंग की तुलना में एमआरआई की उपयोगिता क्या है?
एमआरआई सभी चीजों का काफी अपग्रेड वर्जन है बॉडी के किसी भी सूक्ष्म से सूक्ष्म हिस्से की से जुड़ी जानकारी बेहद आसन और तेजी से मालूम करना एमआरआई से ही मुमकिन हुआ है।
जब सभी जाँच एमआरआई से मुमकिन हैं तो क्या एक्सरे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड की उपयोगिता खत्म हो चुकी है ?
देखिये कुछ सामान्य बिमारियों की जांच में इन सब की अहम अपनी भूमिका है जिसे इग्नोर नहीं किया जा सकता। इसका एक पहलू यह भी है इन सब जांचों की तुलना में एमआरआई थोड़ा महंगा रहता है।
आज हेल्थ सेक्टर पर सरकार के रुख को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?
हेल्थ सेक्टर सरकारों की ओर से अब तक उपेक्षित रहा है लेकिन वर्तमान सरकारें इस दिशा में अच्छा काम कर रही है।