Home Entertainment अभिताभ बच्चन का अपनी माँ के नाम इमोशनल लैटर

अभिताभ बच्चन का अपनी माँ के नाम इमोशनल लैटर

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बॉलीवुड डेस्क। आज दुनिया के कई देशों में मदर्स डे मनाया जा रहा है। मां के प्यार और सम्मान के लिए समर्पित यह दिन समाज के हर वर्ग के लिए बराबर मायने रखता है। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन भी अपनी मां तेजी बच्चन से बेहद प्यार करते हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। 12 अगस्त 2018 को मां की 104वीं बर्थ एनिवर्सरी पर बिग बी ने एक इमोशनल ब्लॉग लिखा था। उन्होंने लिखा था कि मां अब उनके साथ नहीं हैं, लेकिन उनसे जुड़ी कई खूबसूरत यादें अब भी उनके पास हैं।

‘आपकी सफलता पर खुशी से रो पड़े, वह मां’
अमिताभ ने अपने ब्लॉग में लिखा था, “जब आप असफल होते हैं तो वह उम्मीद जगाती है और जब आप सफल होते हैं तो खुशी से रो पड़ती है। अपने आखिरी दिन तक वह इस बात पर जोर देती रही कि मैंने क्या खाया? और जब बाहर जाता तो कहती थी देर मत करना। मैं तब तक नाना बन चुका था, लेकिन वह मेरी मां थी।”

‘सुबह चाय की प्याली के रूप में होते थे मां के शब्द’
“सुबह गर्म चाय की प्याली के रूप में सबसे पहली चीज उनके शब्द, उनकी मौजूदगी और रूप में उनका हाव भाव होता था। लाहौर के कॉलेज के कॉरिडोर में (जहां उन्होंने कुछ समय के लिए पढ़ाया था) जब वो चलती थी तो स्टूडेंट्स उनका इंतजार करते थे। यह देखने के लिए उन्होंने क्या पहना और उनके परफ्यूम को फॉलो करते थे।”

हंसी, खुशी और गीत हमेशा उनके साथ रहते
“उन्हें ड्राइविंग पसंद थी और वो सबको कार में जबरन बैठाकर ले जाया करती थीं। कभी अपने पसंदीदा भोजनालय में कॉफी पलाने या खाना खिलाने के लिए तो कभी राष्ट्रपति भवन पर लगने वाली रिपब्लिक डे की लाइटिंग दिखाने के लिए। हंसी, खुशी और गीत हमेशा उनके आसपास रहते थे, लेकिन बच्चों को छूने पर उनके अंदर की शेरनी आपको चीर भी सकती थी।”
“जब वो व्हील चेयर पर थीं, तब भी शाम को नियमित रूप से चाय और नाश्ते की ड्राइव पक्की थी। रेस्त्रां मालिकों को अब भी उनका हर दिन याद है। न केवल मुंबई शहर से, बल्कि दिल्ली से भी वो मुझसे मिलने आते हैं और मां के साथ बिताए दिनों की चर्चा करते हैं।

‘बाबूजी के लिए किया त्याग’
“उन्होंने बाबूजी को स्पेस और समय देने के लिए के लिए बहुत त्याग किया, क्योंकि वो जानती थीं कि एक कवि, विचारक और दार्शनिक के लिए यह कितना जरूरी है।”

लाल गुलाब से था बेहद प्यार
“उन्होंने मुझे थिएटर, फिल्म्स और संगीत और बॉलरूम डांसिंग से रूबरू कराया। एक शाम वो मुझे दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित पॉपुलर रेस्त्रां गेलॉर्ड्स के फ्लोर पर लेकर गईं, जहां हमने डांस किया।” उनके फैशन और सौंदर्य की कोई तुलना नहीं थी और लाल गुलाब के प्रति उनका प्यार उनके द्वारा बनाए गए हर घर में दिखता था। उनके गुलाब उद्यान और दूसरे उद्यान इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में होने वाले सालाना फ्लॉवर शो में सभी अवॉर्ड जीतते थे।

उनकी यादें मेरे लिए सबसे बढ़कर हैं
“स्कूल एथलेटिक्स मीट में विक्टरी पोडियम के सबसे ऊंचे मंच पर मेरे भाई (अजिताभ) और मुझे ढूंढना, अपना बॉक्स कैमरा निकालना, फोटोग्राफ्स लेना और उन्हें मेरे जीते हुए कप्स के साथ बेडरूम में सजाना। वो कप्स और पिक्चर्स कहां गए? कोई नहीं जानता। वो दानी थीं।अपने हर सामान को वो दोस्तों, स्टाफ और हर उस इंसान के साथ बांटती थीं, जो उन्हें पसंद होता था। मेरे पास अब सिर्फ उनकी यादें हैं, कोई मटेरियल नहीं।लेकिन मेरे लिए यह सबसे ज्यादा बढ़कर है।”
दिसंबर 2007 को लम्बी बीमारी के बाद तेजी बच्चन का निधन हो गया। वे उस वक्त 93 साल की थीं।

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