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अयोध्या मामला में सुप्रीम कोर्ट में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ दायर

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नई दिल्ली। अखिल भारतीय हिंदू महासभा और मुस्लिम पक्षकार ने अयोध्या भूमि विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर हलफनामा दाखिल कर दिया है। दोनों पक्षकारों ने सीलबंद लिफाफे में नोट दाखिल किया है। हिंदू महासभा ने अदालत से मंदिर निर्माण और व्यवस्था के लिए ट्रस्ट बनाने की मांग की है। हिंदू महासभा का कहना है कि संपत्ति का प्रबंध कैसे किया जाए इसे लेकर अदालत आदेश दे सकता है।

जानें क्या है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ
अयोध्या मामले में 40 दिनों की सुनवाई के दौरान जिस शब्द ने सबका ध्यान खींचा वो है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ। इसका प्रावधान सिविल सूट वाले मामलों के लिए किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 और सीपीसी की धारा 151 के तहत इस अधिकार का इस्तेमाल करता है। याचिकाकर्ता कोर्ट के पास अपनी मांग के साथ पहुंचता है और अगर वो मांग पूरी नहीं हो पाती तो वो कौन सा विकल्प है जो उसे दिया जा सकता है। अयोध्या मामले के परिपेक्ष्य में देखें तो एक से अधिक दावेदारों के विवाद वाली जमीन का मालिकाना हक किसी एक पक्ष को मिलेगा तो अन्य पक्षों को इसके बदले क्या मिलेगा। कोर्ट ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सभी पक्षों को लिखित नोट देने के लिए तीन दिन की मोहलत दी थी। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि इस मामले में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ सिद्धांत किस हद तक लागू किया जा सकता है। पीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि अब कोई मौखिक बहस नहीं होगी।

सीजेआई ने रद्द किया विदेश दौरा
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 17 नवंबर को सेवानिवृत्ति से पूर्व होने वाले अपने विदेश दौरे को रद्द कर दिया है। अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ के अध्यक्ष सीजेआई गोगोई को दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों, मध्यपूर्व सहित कुछ अन्य देशों की आधिकारिक यात्रा पर जाना था। सूत्रों ने बताया कि सीजेआई ने प्रस्तावित विदेश यात्राओं को अंतिम रूप मिलने से पहले इन्हें रद्द कर दिया। गोगोई ने पिछले साल तीन अक्तूबर को 46वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।

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