नई दिल्ली। भारत की प्राचीन विरासत को समेटे आयुर्वेद सर्वगुण संपन्न है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शुक्रवार को आयुर्वेद दिवस के मौके पर राजस्थान और गुजरात में दो आयुर्वेद संस्थानों का उद्घाटन किया है। इस कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी मौजूद रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, आयुर्वेद, भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है। किस भारतीय को खुशी नहीं होगी कि हमारा पारंपरिक ज्ञान, अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रहा है। गर्व की बात है कि WHO ने ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के लिए भारत को चुना है।
उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ आज हर चीज इंटीग्रेट हो रही है। स्वास्थ्य भी इससे अलग नहीं है। इसी सोच के साथ देश आज इलाज की अलग-अलग पद्धतियों के इंटीग्रेशन के लिए एक के बाद एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। इसी सोच ने आयुष को देश की आरोग्य नीति का अहम हिस्सा बनाया है। देश में अब हमारे पुरातन चिकित्सीय ज्ञान-विज्ञान को 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से मिली जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, नई रिसर्च की जा रही है। तीन साल पहले ही हमारे यहां अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान की स्थापना की गई थी।
प्रधानंमत्री ने कहा, इसी साल संसद के मानसून सत्र में दो ऐतिहासिक आयोग भी बनाए गए हैं – नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन, नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत की मेडिकल एजुकेशन में इंटीग्रेशन की एप्रोच को प्रोत्साहित किया गया है। आज एक तरफ भारत जहां वैक्सीन की टेस्टिंग कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ कोविड से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक रिसर्च पर भी इंटरनेशनल कोलेबोरेशन को तेजी से बढ़ा रहा है। इस समय 100 से ज्यादा स्थानों पर रिसर्च चल रही है। आयुर्वेद के माध्यम से किसी भी बीमारी का उचित इलाज किया जा सकता है।