नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ने बैंकों के फंसे कर्ज को निपटारे के लिए 23 मई के पहले दिशा निर्देश भी जारी कर सकता है। इसमें चुनाव आचार संहिता इसमें आड़े नहीं आएगी। लोकसभा चुनाव के दौरान लागू आदर्श चुनाव आचार संहिता इसमें आड़े नहीं आएगी। सूत्रों ने बताया सुप्रीम कोर्ट इस महीने की शुरुआत में आरबीआई द्वारा पिछले साल 12 फरवरी को जारी किया गया सर्कुलर रद्द कर चुका है। इसके बाद आरबीआई अधिकारी संशोधित दिशा निर्देश तैयार करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा आचार संहिता के दायरे में नहीं आती है।
आरबीआई के 12 फरवरी वाले सर्कुलर में 2,000 करोड़ रुपए से अधिक राशि के फंसे कर्ज की पहचान करने और उनके निपटारे के संबंध में प्रावधान थे। इसमें किसी फंसे कर्ज का 180 दिन के भीतर निपटारा नहीं होने पर बैंकों को उसे दिवाला प्रक्रिया के लिए भेजने को कहा गया था। आरबीआई के नियमों के अनुसार यदि कोई कर्जधारक कर्ज की किस्त अदा करने में 90 दिन से अधिक देरी करता है तो उस कर्ज को एनपीए माना जाता है। सूत्रों को अनसुसार पता चला है, एनपीए के ढांचे में बदलाव के लिए कई विकल्पों पर विचार हो रहा हैं। एक विकल्प यह भी है कि 90 दिन के अलावा 30-60 दिन का और समय दिया जाए। उसके बाद ही दिवाला प्रक्रिया शुरू की जाए। इससे एमएसएमई क्षेत्र को मदद मिलेगी।