चेन्नई. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और दिग्गज अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने राजनीति में आने की संभावनाओं को फिर खारिज किया है, कहा एकेडमिक काम से संतुष्ट हूं, मुझे राजनीति रुचि नही हैं। राजन ये भी कहा कि उनकी पत्नी राधिका नहीं चाहती हैं कि वे राजनीति में आएं और आएं तो उनकी पत्नी उनका साथ छोड़ देगी।
गवर्नर ने कहा भारत में आर्थिक विषयों के ऊपर रिसर्च पर ध्यान देने की जरूरत है। भारत में मेरी मदद की जरूरत हुई तो तैयार रहूंगा।
राजन अभी शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोसेफर हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि अगर अच्छा असवर मिला तो वे भारत में काम करने के लिए लौट सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि उनकी नजर में अच्छा अवसर क्या है, राजन ने कहा, ‘मेरे कहने का मतलब यह था कि अगर कहीं मेरी जरूरत हुई तो मैं मदद करने के लिए तैयार रहूंगा। अगर किसी को मेरी सलाह चाहिए तो मुझे खुशी होगी।’
राजन भले ही राजनीति में नहीं आना चाहते हों, लेकिन वे ऐसा नहीं मानते कि भारत में राजनीतिक स्थिति खराब है। उन्होंने कहा, मौजूदा समय में पूरी दुनिया में राजनीति का स्वरूप वैसा ही है जैसा भारत में है। इसे अच्छे या खराब के नजरिए से नहीं देख सकते।
ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर कांग्रेस की अगुवाई में सरकार बनती है तो राजन को वित्त मंत्री बनाया जा सकता है। इस बारे में उन्होंने कहा कि इतने दूर की सोचना सही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘भारत में मैं आरबीआई गवर्नर रहा। इससे लोगों को लगता है कि सार्वजनिक क्षेत्र का काम करना मेरी प्राथमिकता होगी। लेकिन ऐसा है नहीं। मेरा प्राथमिक काम एकेडमिक है। मैं इस काम को पसंद करता हूं और इसमें ठीक-ठाक तरीके से व्यस्त भी हूं। मैंने हाल ही में किताब भी लिखी है। इसलिए कुल मिलाकर कह सकता हूं कि मैं अभी जो काम कर रहा हूं उससे खुश और संतुष्ट हूं।’
नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के काम-काज के बारे में गवर्नर राजन ने कहा कि इस सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर औसत प्रदर्शन किया है। पूरा निष्कर्ष निकालने के लिए और डेटा की जरूरत होगी। राजन ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में जीडीपी ग्रोथ 7% के आसपास रही है। ग्रोथ की यह रफ्तार करीब 25 साल से कायम है। यह भी देखना होगा कि इस ग्रोथ में रोजगार के कितने अवसर पैदा हुए। इसलिए मुझे लगता है कि सटीक आकलन के लिए और भी डेटा की जरूरत होगी, जो फिलहाल नहीं हैं।
राजन ने कहा कि चुनावों के बाद मोदी सरकार कायम रहे या नई सरकार आए, दोनों के लिए चुनौतियां एक जैसी होंगी। हमें देखना होगा कि ग्रोथ के नए फेज के लिए हम कितने तैयार हैं। क्या हम उस स्थिति में होंगे कि चीन से बाहर होनी वाली नौकरियां को अपने यहां ला सकें। मैं देख रहा हूं कि जो अवसर चीन से बाहर हो रहे हैं वे वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों में भारत की तुलना में ज्यादा जा रहे हैं। इसलिए हमें आर्थिक विषयों के ऊपर रिसर्च पर भी करना होगा।