नई दिल्ली। देश में लॉकडाउन खत्म होने के बाद उद्योगों के शुरू होने को लेकर सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। गृह मंत्रालय के अनुसार, किसी भी यूनिट में काम शुरू होने के पहले हफ्ते को ट्रायल माना जाए। कारखानों में सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित किया जाए। किसी भी रूप में ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित न करें।
प्राधिकरण के सचिव जीवीवी सरमा के मुताबिक, ‘‘लॉकडाउन के चलते कई हफ्ते से इंडस्ट्रियल यूनिट्स बंद हैं। ऐसे में संभव है कि ऑपरेटर फैक्ट्री चलाने के मानक तरीके लागू न कर पाए हों। इसके चलते पाइपलाइन, वॉल्व से केमिकल लीकेज आदि का खतरा हो सकता है। फैक्ट्रियों के बंद रहने के चलते मशीनों और उपकरणों का भी मेंटेनेंस नहीं हो पाया है, लिहाजा उनसे भी खतरा हो सकता है।’’
मशीनों/उपकरणों को लेकर गाइडलाइंस
- कोई कर्मचारी जिस भी मशीन/उपकरण पर काम कर रहा हो, उसका सैनिटाइजेशन किया जाए। यह भी सुनिश्चित करें कि उसमें कहीं कोई तार खुला न हो, लीकेज न हो और खतरे के संकेत न मिलें।
- फैक्ट्री में दोबारा काम शुरू करने के पहले सभी उपकरणों को जांच लें, सुरक्षा प्रोटोकॉल का ध्यान रखें।
- अगर फैक्ट्री के प्रबंधन/संचालन में किसी भी तरह की परेशानी हो तो स्थानीय प्रशासन की मदद ली जा सकती है।फैक्ट्रियों के मेन गेट पर ही कर्मचारियों का तापमान मापा जाना चाहिए। बीमारी के लक्षण वाले कर्मचारी को काम करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
वर्कर्स के लिए गाइडलाइंस
- फैक्ट्री को हर दिन दो से तीन घंटे के अंतराल पर सैनिटाइज करें। खासकर कॉमन एरिया को। इनमें लंच रूम्स और कॉमन टेबल्स शामिल हैं। इन्हें हर व्यक्ति के इस्तेमाल के बाद डिसइनफेक्टेड और साफ किया जाए।
- रहने की जगह के लिए- संकमण को रोकने के लिए नियमित रूप से रहने वाली जगह का सैनिटाइजेशन किया जाना जरूरी है।
- सभी कर्मचारियों का दिन में दो बार हेल्थ चेकअप होना चाहिए।
- वर्कर्स को अगर लक्षण हैं तो उन्हें काम पर नहीं आना चाहिए।
- सभी फैक्ट्रीज और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में ग्लब्स, मास्क और हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध कराया जाए।
कोरोना रोकथाम के बारे में जानकारी
- फैक्ट्री के एंट्री से एग्जिट तक सुरक्षा कदमों के बारे में जानकारी दी जाए।
- व्यक्तिगत स्तर पर भी एहतियातन कदम उठाए जाएं।
- सामानों की सप्लाई और स्टोरेज के लिए सावधानी
- फैक्ट्री परिसर में आने वाले सभी बॉक्स और अन्य सामानों सैनिटाइजेशन जरूरी है।
- फैक्ट्री या यूनिट में डाइनिंग हॉल और वर्क फ्लोर फिजिकल डिस्टेंसिंग जरूरी है।
वर्किंग शिफ्ट
- 24 घंटे काम करने वाली यूनिट और फैक्ट्री में शिफ्ट के बीच में एक घंटे का गैप जरूरी है। उन फैक्ट्रीज, प्लांट्स को छोड़कर जहां लगातार काम करना अनिवार्य है।
- सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक, प्रबंधन और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ को एक शिफ्ट में 33% क्षमता के साथ काम करना चाहिए।
- काम के दौरान टूल्स और वर्कस्टेशन कोई साझा न करे। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त टूल्स मुहैया कराएं जाएं।
विशाखापट्टनम हादसे से सबक लें
गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण लंबे समय से बंद पड़ी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज में पाइपलाइन और वाल्व से केमिकल का रिसाव हो सकता है। इससे वहां के कर्मचारियों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए केमिकल की सुरक्षा को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। हाल ही में विशाखापत्तनम में एलजी पॉलीमर की एक कंपनी से खतरनाक गैस का रिसाव हो गया था, जिससे 11 लोगों की मौत हो गई थी। लॉकडाउन के कारण कंपनी कई दिन से बंद थी।