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इटावा में मायावती और अखिलेश के बीच शह और मात का खेल, जिला स्तर पर फिर बदलाव

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इटावा। कभी साथ-साथ चुनाव लड़ चुके बुआ और बबुआ आज एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गए है। जी हाँ समाजवादी पार्टी के गढ़ इटावा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के दांव के महज 14 दिन बाद बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी का जिलाध्यक्ष फिर से बदल दिया है। पार्टी ने इस बार युवा चेहरे के रूप में शीलू दोहरे को जिलाध्यक्ष बनाया है। इस समय वे सेक्टर प्रभारी कानपुर मंडल के पद पर थे।

वर्ष 2020 में अब तक बहुजन समाज पार्टी ने छह जिलाध्यक्ष बदले हैं। शीलू दोहरे इस साल के सातवें जिलाध्यक्ष हैं। खास बात यह रही कि इस दौरान वीपी सिंह दो बार जिलाध्यक्ष बनाए गए। साल के शुरू में वीपी सिंह ही बसपा जिलाध्यक्ष थे। उनके बाद फ्रेंड्स कॉलोनी के जितेंद्र दोहरे जिलाध्यक्ष बनाए गए। जल्द ही पार्टी ने उनके स्थान पर गोविंद गौतम को अगला जिलाध्यक्ष बनाया। लेकिन कुछ समय बाद उन्हें हटाकर फिर से वीपी सिंह को जिलाध्यक्ष बना दिया गया। जल्द ही पार्टी ने जगत नारायण दोहरे को जिलाध्यक्ष बनाया। उससे लगा कि अब पार्टी में जल्दी-जल्दी जिलाध्यक्ष बदलने का दौर थम जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

आपको बतादें जगत नारायण दोहरे के कार्यकाल के दौरान ही दिवाली के दिन बसपा के तीन पूर्व जिलाध्यक्षों के एक साथ अन्य नेता ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। इसकी गाज जिलाध्यक्ष पर गिरते देर न लगी। पार्टी ने उन्हें हटाकर फिर से कई बार जिलाध्यक्ष रह चुके वीपी सिंह को जिलाध्यक्ष तो बनाया लेकिन उनकी कार्यकारिणी के गठन से पहले ही पार्टी ने उन्हें फिर से चलता कर दिया। जिलाध्यक्ष बनाये गए शीलू दोहरे मूलरूप से इटावा शहर के मैनपुरी फाटक शांति कॉलोनी के रहने वाले हैं। वो इससे पहले चार बार पार्टी के जिला महासचिव और तीन बार जिला प्रभारी रह चुके हैं।

नवनियुक्त जिलाध्यक्ष शीलू दोहरे ने विश्वासपूर्वक कहा है कि पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी है, उस पर पूरी तरह से खरा उतरने का प्रयास करेंगे। दोहरे बताते हैं कि सप्ताह भर के अंदर नई जिला कार्यकारिणी गठित कर देंगे। उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ बौद्ध विहार पहुंचकर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। अब बसपा ने जिस युवा को जिलाध्यक्ष बनाया है, वह कितने दिन इस पद पर रह पाएंगे इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। फ़िलहाल उन्हें जिले की कमान तो मिल ही गई है।

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