Home State एक ने बढ़ाई उलझन, दो प्रत्याशियों पर संघर्ष

एक ने बढ़ाई उलझन, दो प्रत्याशियों पर संघर्ष

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झारखंड। की उपराजधानी दुमका के मतदाताओं की मानसिकता भी कमोबेश राजधानी रांची की राह पर है। यहां भी भाजपा और झामुमो में ही मुख्य मुकाबला है। यह सीट इसलिए भी हॉट है कि कि यहां भाजपा की डॉ। लुईस मरांडी और झामुमो के हेमंत सोरेन फिर आमने-सामने हैं।

शहरी क्षेत्र भाजपा के पक्ष में बोल रहा है तो ग्रामीण और कस्बाई इलाके झामुमो के पक्ष में खड़े हैं। कुल मिलाकर चुनावी लड़ाई गांव बनाम शहर का रूप धारण कर चुकी है। शहरी क्षेत्र में झामुमो के पुराने समर्थक ही आज भी पार्टी से जुड़े हैं। मारवाड़ी चौक पर रामनरेश ठाकुर कहते हैं- दुमका ने बाप-बेटे को बहुत मौका दिया। दूसरी ओर गांधी मैदान के पास छोटी सी दुकान चलानेवाले सुरेश मुर्मू का कहना है कि जिस तरह भाजपा के लोग प्रत्याशी को नहीं, मोदी को वोट करते हैं, उसी तरह लोग हेमंत को नहीं, गुरुजी को वोट करेंगे।

लुईस शहरी क्षेत्र पर फोकस की हुई हैं तो हेमंत ग्रामीण क्षेत्रों को ही टार्गेट कर अपनी रणनीति को अंजाम देने में जुटे हैं। मारवाड़ी चौक पर ही परमेश्वर अग्रवाल कहते हैं कि किसी भी समुदाय विशेष के युवा और प्रबुद्ध अब किसी के नाम की माला जपने को तैयार नहीं है। नरेंद्र मोदी की सभा का भी असर है। हेमंत के सामने बड़ी चुनौती लगातार दो चुनावों में पार्टी को मिली हार का अंतर पाटना है। 2014 में वह लुईस से 4914 मतों से हार गए थे।

शिकारीपाड़ा : मतों के हर शिकारी के पीछे दूसरा शिकारी
झामुमो का मजबूत गढ़ शिकारीपाड़ा रहा है। भाजपा यहां से चुनाव नहीं लड़ती रही है। भाजपा के सहयोगी दल रहे जदयू, आजसू और लोजपा ही यहां झामुमो को चुनौती देते रहे हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यह सीट लोजपा के लिए छोड़ी थी और शिवधन मुर्मू 21,010 मत लाकर तीसरे स्थान पर थे। दूसरे स्थान पर रहे झाविमो के परितोष सोरेन को भाजपा ने इस बार अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा का बैनर व चुनाव चिन्ह मिलने से परितोष सीधे नलिन सोरेन को टक्कर देने की स्थिति में पहुंच गए हैं। लेकिन परितोष सोरेन को भाजपा के ही रहे श्याम मरांडी परेशान कर रहे हैं। टिकट नहीं मिलने के कारण श्याम ने इस बार आजसू का दामन थामा और चुनाव मैदान कूद पड़े।

नलिन के सामने जेवीएम-झामुमो: जेवीएम के राजेश मुर्मू भी नलिन सोरेन को परेशान कर रहे हैं। पत्ताबाड़ी में रामधन मुर्मू एक ही लाइन बोलते हैं- राजेश मुर्मू भाजपा को कम झामुमो के लिए ज्यादा दिक्कत पैदा कर रहे हैं। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू भी नलिन के सामने खड़े हैं। भाजपा के मुद्दे नलिन को ताकतवर बना रहे हैं। लगातार छह चुनावों में शेर रहे नलिन काे यहां भाजपा तभी शिकस्त दे पाएगी, जेवीएम-झामुमो के आधार मतों में सेंधमारी कर सके।

महेशपुर : 12 चेहरे हैं, पर चर्चा मिस्त्री और स्टीफन की ही
महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव तो 12 प्रत्याशी लड़ रहे हैं, पर चर्चा मिस्त्री सोरेन और स्टीफन मरांडी की ही है। तीसरा कोण बनाने की कोशिश में आजसू के सुफल मरांडी लगे हैं। माकपा के गोपीन सोरेन को भी अपने कैडरों का भरोसा है। महेशपुर में डॉक्टर साव (चिकित्सिक नहीं) दावा करते हैं- लड़ाई तो भाजपा-झामुमो में ही है। वहीं अमीन टुडू बाेले- न तो भाजपा ने, न ही जेएमएम ने कुछ किया, पर लोग वोट इन्हें ही देंगे। देवपुर में बैलगाड़ी पर धान के बोझे ले जाते वकील मुर्मू हाथ से तीर-धनुष का इशारा करते हैं।

रामलाल मुर्मू कहते हैं कि अभी कुछ भी तय नहीं हुआ। कुरेदने पर कहा- साफा होड़ो भाजपा के साथ जाएंगे, क्रिश्चियन जेएमएम की ओर, जबकि अन्य आदिवासी जेएमएम-भाजपा के बीच बंटेंगे। महेशपुर से सीमावर्ती इलाके के बीच पड़नेवाले दर्जनों गांव धर्म के आधार पर जेएमएम और भाजपा के बीच बंटे हुए हैं। जहां दोनों हैं, वहां एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़। जेएमएम चुनाव कार्यालय में मौजूद लखीपुर गांव के अबुल हुसैन ने कहा, अगर सुफल मरांडी को जेएमएम ने टिकट दिया होता तो फिर प्रचार की नौबत ही नहीं आती। स्टीफन मरांडी विकास तो करते हैं, पर कई छोटी समस्याओं में साथ नहीं खड़े होते। बावजूद इसके हम सब उनके साथ हैं।

मजबूत पकड़ के कारण चुन्ना सिंह रणधीर कुमार सिंह को कड़ी टक्कर
सारठ विधानसभा क्षेत्र में मंत्री रणधीर कुमार सिंह व झाविमो के उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह आमने-सामने हैं। अल्पसंख्यक मतों की झाविमो के पक्ष में हो रही गोलबंदी और स्वजातीय मतों पर मजबूत पकड़ के कारण चुन्ना सिंह रणधीर कुमार सिंह को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। यह अलग बात है कि झामुमो के परिमल कुमार सिंह उर्फ भूपेन सिंह लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में रणधीर झाविमो तो चुन्ना सिंह भाजपा प्रत्याशी थे। शशांक शेखर भोक्ता झामुमो प्रत्याशी थे, लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला।

इस बार रणधीर भाजपा के और चुन्ना सिंह झाविमो के प्रत्याशी हैं। सारठ को भूमिहार बहुल क्षेत्र माना जाता है। लेकिन पिछड़े, अल्पसंख्यक और आदिवासी मतदाताओं की अच्छी संख्या है। ब्राह्मणों की भी ठीक-ठाक आबादी है। पालाजोरी चौक पर पान दुकानदार उत्तम दत्ता बताते हैं- लड़ाई भाजपा और झाविमो में है। क्यों? दत्ता स्पष्ट करते हैं कि भूमिहारों का अच्छा-खासा वोट चुन्ना सिंह को मिल रहा है। बाबूलाल मरांडी की सभा के बाद आदिवासी भी शिफ्ट हो रहे है। पिंडारी में अब्दुल कादिर अंसारी कहते हैं कि हम लोग तो झाविमो के साथ हैं।

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