Home Business करार का उल्लंघन होने पर बिल्डर-बायर समान दर से मुआवजा दें: NCRDC

करार का उल्लंघन होने पर बिल्डर-बायर समान दर से मुआवजा दें: NCRDC

1064
0

नई दिल्ली। इंस्टॉलमेंट पेमेंट में देरी हो जाए तो घर खरीदारों को सालाना 18% ब्याज देने पर मजबूर करे और जब खुद बिल्डर प्रॉजेक्ट डिलिवरी में देरी करे तो वह सिर्फ 1.5 से 2% की मामूली दर से जुर्माना दे। यह तो व्यापार का अनुचित तरीका है। इसलिए, ऐसी शर्तें नहीं मानी जा सकती हैं। ये बातें कही हैं उपभोक्ता आयोग की सर्वोच्च संस्था ने।

पीठ ने इस तरह के प्रावधान को अनुचित करार दिया
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) की एक बेंच के अध्यक्ष जस्टिस आर. के. अग्रवाल और सदस्य एम. श्रीशा ने बिल्डर-बायर के बीच समझौते में इस तरह के प्रावधान को अनुचित और अतार्किक करार दिया। आयोग की इस पीठ ने कहा कि किसी रीयल एस्टेट कंपनी को होम बायर्स पर इस तरह की एकतरफा शर्तें लादने की अनुमति नहीं दी जा सकती जो फ्लैट खरीदारों की कीमत पर कंपनियों का फायदा पहुंचाएं।

बिल्डर या होम बायर पर लगे एक समान जुर्माना: पीठ
पीठ ने कहा कि बिल्डर या होम बायर, किसी की तरफ से भी निश्चित समयसीमा का उल्लंघन होने पर एकसमान दर से ब्याज दिया जाना चाहिए। यानी, अगर बिल्डर प्रॉजेक्ट पूरा करने में देरी करे तो उसे भी उसी दर से ब्याज देना चाहिए, जिस दर से वह पेमेंट मिलने में देरी पर बायर्स से ब्याज वसूलता है।

यह है मामला
एनसीडीआरसी ने यह आदेश एक होमबायर की याचिका पर दिया जिसने 2012 में गुरुग्राम में एक फ्लैट बुक किया था। यह फ्लैट उमंग रीयलटेक प्राइवेट. लि. के विंटर हिल्स 77 प्रॉजेक्ट में है। बायर को दिसंबर 2015 तक फ्लैट का पजेशन देने का वादा किया गया था। उसने किस्तों में करीब 83 लाख रुपये का भुगतान कर दिए।

पेमेंट मिलने में देरी होने पर बायर्स से ब्याज लिया
जब बिल्डर तय समयसीमा से चार साल बाद भी पजेशन नहीं दे सका तो बायर ने उससे 18% की ब्याज के साथ अपना पैसा वापस मांगा। इसी दर से बिल्डर ने उन पेमेंट मिलने में देरी होने पर बायर्स से ब्याज लिया था। हालांकि, कंपनी ने कहा कि अग्रीमेंट के मुताबिक वह सिर्फ 5 रुपये प्रति स्क्वैयर फीट की दर से मुआवजा दे सकता है।

5 रुपये प्रति स्क्वैयर मीटर मुआवजा ऑफर न्यायोचित नहीं
इस पर एनसीडीआरसी ने कहा, ‘पता है कि दूसरे पक्ष (कंपनी) ने पेमेंट मिलने में देरी पर घर खरीदारों से सालाना 18% की दर से ब्याज वसूला था। ऐसे में 5 रुपये प्रति स्क्वैयर मीटर का मामूली मुआवजा ऑफर करना न्यायोचित नहीं है जो महज 1.4% सालाना के आसपास पड़ता है। यह कंपनी द्वारा वसूले गए मुआवजे का बहुत छोटा हिस्सा है।’

बायर को 1 लाख रुपये मुआवजा दे: पीठ
इसने आगे कहा, ‘किसी भी मामले में ऐसे प्रावधान अनुचित व्यापार व्यवहार (अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस) की श्रेणी में आते हैं क्योंकि इनसे विक्रेताओं को अनुचित फायदा पहुंचता है।’ पीठ ने कंपनी को 12 प्रतिशत ब्याज देने को कहा क्योंकि बैंकों ने हाल के वर्षों में ब्याज दरें घटा दी हैं। उसने कंपनी को यह भी आदेश दिया कि वह बायर को 1 लाख रुपये का मुआवजा भी दे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here