नई दिल्ली। ओडिशा के पुरी में 23 जून से शुरू होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा- अगर कोरोना के बीच हमने इस साल रथयात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब महामारी फैली हो, तो ऐसी यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती, जिसमें बड़ी तादाद में भीड़ आती हो। लोगों की सेहत और उनकी हिफाजत के लिए इस साल यात्रा नहीं होनी चाहिए। चीफ जस्टिस की बेंच ने ओडिशा सरकार से कहा कि इस साल राज्य में कहीं भी रथयात्रा से जुड़े जुलूस या कार्यक्रमों की इजाजत न दी जाए।

पिछली बार मुगलों ने रोकी थी यात्रा
इतिहास के 285 साल में यह दूसरा मौका है जब रथ यात्रा रोकी गई है। पिछली बार मुगलों के दौर में यात्रा रोकी गई थी। इस बार रथयात्रा पर पहले से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इस बीच, भुवनेश्वर के एनजीओ ओडिशा विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा था कि रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। अगर लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर कोर्ट दीपावली पर पटाखे जलाने पर रोक लगा सकता है तो रथयात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती?

मंदिर समिति की मीटिंग कल
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देब का कहना है कि महाप्रभु जगन्नाथजी के दुनियाभर में मौजूद भक्त सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से निराश हैं, लेकिन फैसला मानना जरूरी है। मंदिर प्रबंधन समिति कल इस मसले पर मीटिंग करेगी। इसके बाद समिति सदस्य पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से भी इस बारे में चर्चा करेंगे।

पहले बिना श्रद्धालुओं के रथयात्रा निकालने का हुआ था फैसला
मंदिर समिति ने पहले रथयात्रा को बिना श्रद्धालुओं के निकालने का फैसला लिया था। रथ बनाने का काम भी तेज रफ्तार से चल रहा था। मंदिर समिति ने रथ खींचने के लिए कई विकल्पों को सामने रखा था। पुलिसकर्मियों, मशीनों या हाथियों से रथ को गुंडिचा मंदिर तक ले जाने पर विचार किया जा रहा था। मंदिर समिति के सदस्य और पुजारी पंडित श्याम महापात्रा ने कहा था कि चैनलों पर लाइव प्रसारण करके चुनिंदा लोगों के साथ रथयात्रा निकाली जा सकती है।