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खराब डायट से भी हो सकती है कैंसर जैसी घातक बीमारी

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हेल्थ डेस्क। कैंसर जैसी घातक बीमारी किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले सकती है, इसलिए जरूरी है कि इसके प्रति सही और पूरी जागरुकता हो। सही लाइफस्टाइल और हेल्दी डायट का सेवन किया जाए। कैंसर सिर्फ अनुवांशिक या फिर प्रदूषित वातावरण या खराब लाइफस्टाइल की वजह से ही नहीं होता बल्कि खराब डायट की वजह से भी हो सकता है।

हाल ही में आई एक स्टडी में दावा किया गया है कि खराब डायट की वजह से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। जेएनसीआई कैंसर स्पैक्ट्रम में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार, 2015 में अमेरिका में 80 हजार से ज्यादा कैंसर के नए मामले पाए गए जिनमें मुख्य कारक खराब डायट था। इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने सात डायट संबंधी कारकों का आकलन किया। ये कारक थे- फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और दूध से बनी चीजों की कम मात्रा का सेवन और प्रोसेस्ड मीट, रेड मीट और सोडा जैसे शुगर वाले पेय पदार्थ का अत्यधिक सेवन।

इन कारकों का आकलन करने के बाद परिणाम सामने आया कि साबुत अनाज की कम मात्रा के सेवन की वजह से अमेरिका में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले देखे गए। इस स्टडी में 2013 से 2016 के बीच अमेरिका में व्यस्कों के डेली डायट से संबंधित आंकड़ों का आकलन किया गया। यह डेटा नैशनल हेल्थ ऐंड न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन सर्वे से प्राप्त किया गया था। साथ ही इस सर्वे के लिए 2015 में यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन से नेशनल कैंसर की घटनाओं पर डेटा भी शामिल किया गया।

स्टडी की लेखिका टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की कैंसर विशेषज्ञ झैंग के अनुसार, पिछले अध्ययनों में उलटे ही परिणाम देखने को मिले थे। पिछले अध्ययनों में प्रोसेस्ड मीट के अत्यधिक सेवन की वजह से कोलोन कैंसर का खतरा अधिक पाया गया, जबकि साबुत अनाज के कम सेवन की वजह से यह खतरा और भी कम हो गया। शोधकर्ताओं ने इस स्टडी से यह भी पाया कि कोलोन और रैक्टल कैंसर में डायट संबंधी मामलों की संख्या और अनुपात 38.3 फीसदी था। जब डायट को मुख्य बिंदु बनाकर इन परिणामों का पुनरावलोकन किया गया तो सामने आया कि साबुत अनाज और दूध से बने खाद्य पदार्थों के कम सेवन और प्रोसेस्ड मीट प्रॉडक्ट्स के अत्यधिक सेवन से कैंसर का खतरा अधिक बढ़ गया। हालांकि इस स्टडी में कुछ कमियां भी हैं। जैसे कि यह स्टडी इस बात पर प्रकाश नहीं डालती कि बढ़ती उम्र के साथ डायट और कैंसर के रिस्क में किस कदर बदलाव आता है और अगर आता भी है तो फिर कितना।

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