असलम के सैफ़ी। मेरा स्वाल, राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी, सोनिया गाँधी सहित उन सभी काँग्रेसियों से है जो आज भी सेक्युलर होने का ढोंग करते हैं।
आज 22 मई है और अलविदा जुमा भी, ठीक यही तारीख़ और रमज़ान का अलविदा जुमा आज से 33 साल पहले 1987 में भी आया था, क्या आपको याद है ?
मेरी उम्र तब लग भग 14 साल रही होगी, इतनी समझ नही थी, कि सम्प्रदाय दंगें क्यों होते हैं, घर मे माहौल भी बड़ा ही मिला झूला था। आस पड़ोस के हिन्दू परिवार में भी ताऊ, चाचा ऐसे ही थे जैसे बाकी मुस्लिम परिवार से कोई फ़र्क नही पड़ता था, कि चाचा निज़ाम हैं, या चाचा दिनेश। लेकिन इस उम्र को जब किशोरावस्था कहा जाता है, तो आप समझ सकते हैं, इस वक़्त के ज़ख्म क्या भुलाये जा सकते हैं?
केंद्र में काँग्रेस की सरकार देश के प्रधानमंत्री, सबसे युवा प्रधानमंत्री की हैसियत रखने वाले कंप्यूटर टेक्नोलॉजी लाने का ख़िताब जिन्हें हासिल हुआ। वह स्वर्गीय श्री राजीव गाँधी थे, उत्तरप्रदेश में सरकार काँग्रेस की और मुख्यमंत्री वीरों के वीर वीरबहादुर सिंह। हां इतने बड़े देश में 22 मई होने के अलग–अलग मायने हो सकते हैं। मगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ के बीचोबीच बसे हाशिमपुरा मौहल्ले में इस तारीख़ के मायने सिवाय मातम के ओर कुछ नहीं हैं। मुझे आज भी याद है शिद्दत की गर्मी थी, और रमज़ान का मुबारक़ महीना हमारे घर से कुछ दूरी पर हाशिमपुरा।
आज भी 22 मई को इस मुहल्ले और शहर के निवासियों के चेहरों पर कभी न ख़त्म होने वाली उदासी है और आंखों में सिवाय इंसाफ़ की उम्मीद के कुछ नहीं है। बहुत सी आंखें ऐसी हैं जो इस उम्मीद में बूढ़ी हो गईं कि उन्हें न्याय मिलेगा। यह महज़ इत्तेफाक़ ही है कि आज हाशिमपुरा जनसंहार को 33 साल हुऐ हैं, 22 मई 1987 को अलविदा का जुमा था और आज फिर अलविदा जुमा है।
अब हाशिमपुरा बदल चुका है, मगर एक चीज़ है जो अभी तक नहीं बदली और वह है इंसाफ की उम्मीद। पीएसी के जिन जवानों ने मुरादनगर गंग नहर पर इस जनसंहार को अंजाम दिया था वो दिल्ली की अदालत से साक्ष्यों के अभाव में बरी हो चुके हैं।
उदासी की आवाज़ों को भांपते हुऐ 2016 मे प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार ने पीड़ित परिवारों को पांच–पांच लाख मुआवजा तो दिया था मगर इंसाफ मिलने की अभी तक कोई उम्मीद नहीं है। लेकिन आज भी जो चुप है, वह है सेक्युलर होने का ढोंग करने वाली पार्टी काँग्रेस जिसने कभी उन परिवारों से मिलना भी ठीक नही समझा जो आज तक इंसाफ की उम्मीद में टक टकी लगाए अपनी आँखें पथरीली कर चुके और उम्मीद करते हैं। उन्हें कभी इंसाफ मिलेगा। मेरा स्वाल, राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी, सोनिया गाँधी सहित उन सभी काँग्रेसियों से है जो आज भी सेक्युलर होने का ढोंग करते हैं। इंसाफ कब मिलेगा??
इस जनसंहार में सभी मरने वालों को खिराजे अक़ीदत।।