नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह नैतिकता को बहुत महत्व देते थे। इस किस्से की शुरुआत 1977 में यूपी में हुई उनकी एक सभा से होती है। इसमें चौधरी ने मतदाताओं से कहा था कि उनकी पार्टी का प्रत्याशी अगर चारित्रिक रूप से पतित हो, शराब पीता हो या किसानों-मजदूरों से धोखा करता हो तो वे उसे हराने में संकोच न करें।
1980 में फैजाबाद जिले की टांडा तहसील के चौधरी समर्थक युवा नेता गोपीनाथ वर्मा विधानसभा चुनाव का टिकट मांगने गए तो उन्होंने टका-सा जवाब दिया, ‘क्षेत्र में जाओ। यथासमय सूचित कर दिया जाएगा।’ डरते-डरते वर्मा ने उनसे कहा, ‘कैसे सूचित कर दिया जाएगा? प्रदेश अध्यक्ष जी ने टिकट की सूची से मेरा नाम काट कर एक शराब कारोबारी का नाम लिख दिया है।’
यह सुनते ही चौधरी ने जनता पार्टी (सेक्यूलर) प्रदेश अध्यक्ष रामवचन यादव को तलब किया और गोपीनाथ का नाम काटने की वजह पूछी। यादव ने बताया मजबूरी है। शराब कारोबारी ने नौ लाख रुपये का चंदा दिया हैं। इस पर चौधरी बिफर पड़े और बोले, ‘मजबूरी आपकी होगी, पार्टी की नहीं। आप व्यवसायी को उसके नौ लाख रुपए लौटा दें। हम किसी शराब व्यवसायी को प्रत्याशी नहीं बनाएंगे।’ गोपीनाथ का टिकट पक्का हो गया और वे 52 वोटों से चुनाव भी जीत गए।