नईदिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम ने रविवार को जम्मू कश्मीर के छह राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के संयुक्त प्रस्ताव का स्वागत किया और उनसे पूर्व राज्य के विशेष दर्जे की बहाली की अपनी मांग के पीछे ‘दृढ़तापूर्वक’ खड़े रहने की अपील की। गृह और वित्त जैसे अहम मंत्रालयों का कामकाज संभाल चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ मुख्य धारा के छह विपक्षी दलों की एकता और साहस को सलाम जो अनुच्छेद 370 के निरसन के विरूद्ध संघर्ष के लिए शनिवार को एकजुट हुए।’’ नेशनल कांफ्रेंस और उसके चिर प्रतिद्वंद्वी पीडीपी समेत छह राजनीतिक दलों ने प्रस्ताव जारी कर स्पष्ट किया कि ‘हमारे बगैर हमारे बारे में कुछ’ भी नहीं हो सकता।
इस बयान का स्पष्ट संकेत है कि केंद्र को किसी भी संवैधानिक बदलाव को लागू करने से पहले जम्मू कश्मीर के लोगों को विश्वास में लेना होगा। इन राजनीतिक दलों ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत पूर्व राज्य को प्राप्त विशेष दर्जे के निरसन को ‘दुर्भावनापूर्ण अदूरदर्शी’ और ‘बिल्कुल असंवैधानिक’ कदम बताया और पिछले साल के पांच अगस्त से पहले की स्थिति की बहाली के लिए संयुक्त प्रयास करने का संकल्प लिया। चिदम्बरम ने लिखा, ‘‘ मैं उनसे अपनी मांग के साथ पूरी तरह से खड़े होने की अपील करता हूं। स्वयंभू राष्ट्रवादियों की तथ्यहीन आलोचना की उपेक्षा करें जो इतिहास को नहीं पढ़ते हैं लेकिन इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश करते हैं।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ भारत के संविधान में राज्यों के लिए विशेष प्रावधान और शक्ति के असमान वितरण के कई उदाहरण हैं।
अगर सरकार विशेष प्रावधानों के खिलाफ है तो फिर नागा मुद्दों को वह कैसे सुलझाएगी?’’ शनिवार के प्रस्ताव को गुपकर घोषणा -।। नाम दिया गया और उसे मीडिया में वितरित किया गया। उस पर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के प्रमुख जी ए मीर, पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन, माकपा के प्रदेश सचिव एम वाई तारिगामी, जम्मू कश्मीर अवामी नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह के दस्तखत हैं। एक साल से भी अधिक समय बाद राजनीतिक दलों का यह पहला संयुक्त बयान है।