नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और सुल्तानपुर से बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी ने कहा कि जिन क्षेत्रों से उन्हें अधिक वोट मिलेंगे वह विकास कार्यों में उन्हें प्राथमिकता देंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वोट संख्या के आधार पर वह गांवों को ए,बी,सी और डी श्रेणी में रखेंगी और इसी आधार पर विकास कार्यों पर जोर देंगी। उदाहरण के लिए अगर किसी क्षेत्र से उन्हें 80% वोट मिलेंगे और कहीं से 60% तो विकास कार्यों में प्राथमिकता 80% वोट वाले क्षेत्र को दी जाएगी। हालांकि, केंद्रीय मंत्री के इस बयान से अलग उम्मीद की जाती है कि एक सांसद अपने पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करे।
क्या हमारे नेता जान सकते आकड़े?
जिसे गुप्त मतदान कहा जाता है वह हकीकत में उतना भी गुप्त नहीं रहता है। यह जानना वाकई आसान है कि किस गांव से किसी प्रत्याशी को कितने वोट मिले हैं। मतदान के वक्त निर्वाचन क्षेत्र वॉर्ड में बंटे होते हैं और सही तरह से मैनेजमेंट हो सके, इसके लिए अलग से प्रत्येक वॉर्ड में ईवीएम लगाए जाते हैं। इसके जरिए किसी प्रत्याशी के लिए यह जानना आसान है कि एक वॉर्ड में कितने वोट किसी एक पार्टी को मिले और कितने किसी दूसरी पार्टी को। अगर किसी बूथ पर जनसंख्या में कई धर्म या जाति के लोग रहते हैं तब भी यह मुमकिन है कि लगभग आंकड़े के तौर पर पता लगाया जा सके कि कितने मत पक्ष या विरोध में एक जाति या समुदाय ने किसी पार्टी को दिए हैं।
वोट नहीं तो, विकास नहीं
इस डेटा के जरिए कई बार प्रत्याशी किसी खास गांव या विपक्षी वोटरों को धमका भी सकते हैं। 2014 में एनसीपी के अजित पवार ने बारामती में एनसीपी को वोट नहीं देने पर पानी सप्लाइ रोकने की धमकी दी थी। बूथ स्तर पर रिजल्ट पर पूरी नजर राजनीतिक पार्टियां रखती हैं और इससे जाति-संप्रदाय आधारित वोट बैंक की राजनीति को बल मिलता है।
क्या इसका कोई समाधान है?
जब बैलेट पेपर से मतदान होता था, उस दौर में मतपेटियों को मिलाया जाता था। चुनाव आयोग भी बूथ स्तर पर मतगणना के स्थान पर 14 बूथों पर एक साथ मतगणना पर जोर देता रहा है। वोटिंग पैटर्न को गोपनीय रखने के लिए इसकी सिफारिश चुनाव आयोग ने की है, लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार इसके खिलाफ है। टोटलाइजर मशीन से मतगणना के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था। केंद्र सरकार का तर्क था कि बूथ स्चर पर मतों की गिनती से प्रत्याशी और पार्टी को किन क्षेत्रों से समर्थन मिला और किनसे नहीं, यह जानने का अवसर रहता है। इससे पार्टी उन क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए प्रयास कर सकती है।