बिज़नेस डेस्क। ज्यादातर निवेशक जोखिम का सही मतलब नहीं जानते हैं। बहुत सतर्क रहने वाले निवेशकों को जहां हर जगह रिस्क दिखता है वहीं,आक्रामक निवेशक केवल रिटर्न के पीछे भागते हैं।
आइए जानते हैं अलग-अलग तरह के निवेश इंस्ट्रूमेंट से जुड़े जोखिम और उनसे निपटने के तरीके।
व्यापार से जुड़ा जोखिम
जब आप केवल रिटर्न की अपेक्षा के साथ निवेश करते हैं और उसमे नुकसान कर बैठते हैं तो निराश हो जाते हैं। तब आप निवेश को रोकने के बारे में सोचने लगते हैं। यही होता है बिज़नेस से जुड़ा सबसे बड़ा जोखिम।अपने रिस्क प्रोफाइल को समझकर इस तरह के जोखिम से बचा जा सकता है।
मार्केट रिस्क
यह जोखिम शेयर बाजार की अस्थिरता से जुड़ा है। इसमें आपके निवेश के मूल्य को खतरा होता है। इस तरह के जोखिम से निपटने का सबसे आसान तरीका डायवर्सिफिकेशन है। अपनी जरूरत के अनुसार इक्विटी, डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट जैसे अलग-अलग एसेट क्लास में अपने निवेश को डायवर्सिफाई कर सकते है।
इन्फ्लेशन रिस्क
महंगाई आपके रिटर्न को चट कर जाती है। महंगाई को मात देने के लिए जीवन के किसी भी पड़ाव में आप इक्विटी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं।
इंटरेस्ट रेट रिस्क
यह जोखिम ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के कारण पैदा होता है। डेट प्रोडक्टों को समझ लेने पर इस जोखिम को मैनेज किया जा सकता है। पीपीएफ के साथ भी ब्याज दर का जोखिम होता है। और यही कारण है कि यह भी मार्केट से जुड़ा है।