बिज़नेस डेस्क। सेक्टर-62 स्थित जेआईआईटी कॉलेज के ऑडिटोरियम में शुक्रवार को हुई बैठक में जेपी ग्रुप अपने बायर्स का भरोसा जीतने और उन्हें अपना प्लान समझाने में पूरी तरह से नाकाम रहा। बुजुर्ग हो चुके ग्रुप के चेयरमैन ने बायर्स के सामने गुहार लगाते हुए कहा कि बस एक मौका दें, सिर्फ एक बार भरोसा कर लो लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। बैठक में शामिल 95 प्रतिशत निवेशकों ने साफ कह दिया कि अब वे एनबीसीसी या कोई और सरकारी एजेंसी से ही प्रॉजेक्ट को पूरा कराना चाहते हैं। आपको बचाने के लिए वोटिंग नहीं करेंगे।
जेपी बिल्डर्स ने खाई कसम
जेपी ग्रुप के विभिन्न प्रॉजेक्टों में 23606 बायर्स को पजेशन का इंतजार है। शुक्रवार को हुई मीटिंग में करीब 2500 खरीददार शामिल थे, जबकि ऑडिटोरियम के गेट पर 50 से भी ज्यादा खरीददार भूख हड़ताल पर बैठे थे। सुबह 11 से शाम 5 बजे तक चली मीटिंग में करीब 30 से भी ज्यादा बार हंगामे के हालात बनें। बैठक के दौरान बिल्डर ने कई बार कसम खाई, लेकिन वर्षों से फंसे खरीददार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। जेपी ग्रुप की ओर से बताया गया कि 300 टावर बनकर तैयार हैं। हम स्वीकार कर रहे हैं हमसे गलती हुई। पिछले डेढ़ साल में 7 हजार खरीददार को फ्लैटों का पजेशन दिया है। हमारी नीयत खराब नहीं। हम कंपनी और परिवार सहित आपके सामने हैं। अपना वादा पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार हैं। आपके पास प्लान है तो बताओ, हम उसे भी मानेंगे।
बायर्स से मांगा साढ़े तीन साल का वक्त
बिल्डर की ओर से कहा गया कि 1500 करोड़ का इंतजाम कर हम प्रॉजेक्ट्स में काम शुरू करने को तैयार हैं और साढ़े तीन साल में सभी बायर्स को संतुष्ट कर देंगे। हम दूसरी प्रॉपर्टी बेचकर इन प्रॉजेक्ट को पूरा करने में लगाएंगे। कौन से प्रॉजेक्ट कब तक और कैसे पूरा करेंगे इसका डीटेल प्लान बताया। जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के प्रमोटर मनोज गौढ़ को 6 घंटे तक चली मीटिंग में बायर्स के रोष का सामना करना पड़ा। इसी बीच करीब एक बजे ग्रुप के चेयरमैन जय प्रकाश गौड़ किसी तरह छड़ी के सहारे मंच पर पहुंचे। बुजुर्ग होने की वजह से उनके लिए स्टेज पर कुर्सी लगवाई गई। उन्होंने बायर्स से कहा कि सिर्फ एक बार भरोसा कर लो। एक एक व्यक्ति को संतुष्ट करूंगा। मैं आपसे आखिरी बार वादा करता हूं। लेकिन लोगों ने उनकी किसी भी बात पर भरोसा नहीं किया और साफ कहा कि हम एनबीसीसी से काम कराना चाहते हैं।
बायर्स का कहना, “हम दोबारा भरोसा नहीं कर सकते”
बैठक में शामिल एक खरीददार ने कहा कि अगर देरी होने का अहसास है तो हमें पिछले 10 साल का हर्जाना देने की पहल करो। वहीं, दूसरे खरीददार ने कहा कि अगर प्रॉजेक्ट पूरे कर सकते थे तो 6 महीने से प्लान क्यों नहीं रखा। अब जब कंपनी हाथ से जाने में मात्र कुछ दिन बचे हैं तो बायर्स की याद आई है। 1500 करोड़ से कुछ होने वाला नहीं है। प्लान में इतना दम नहीं है कि हम दोबारा भरोसा करें। फ्लैट खरीदारों में शामिल कर्नल जोशी ने कहा मैंने फौज से रिटायर होने पर अपनी सारी कमाई तुम्हें दी। पूरा जीवन बर्बाद हो गया। क्या कर पाओगे इसकी भरपाई। आईडीबीआई बैंक के साथ मिलीभगत कर चालाकी से एनसीएलटी में गए। हम 10 साल पहले 90 प्रतिशत पैसा दे चुके हैं।
जरुरी है 15 हजार से अधिक बायर्स वोट करें
जेआईएल में 60 पर्सेंट शेयर बायर्स का है और 40 फीसदी बैंकों का। सरकारी एजेंसी से काम कराने की सहमति पास करने के लिए यह तभी संभव हैं जब 70 फीसदी वोटिंग एजेंसी के पक्ष में हो। इसमें कम से कम 30 पर्सेंट का सहयोग बैंकों की ओर से मिले और 40 प्रतिशत का बायर्स की ओर से। 15 हजार से अधिक बायर वोट करें यह संभव है। अन्यथा बिल्डर के दिवालिया होने या फिर से बिल्डर द्वारा प्रॉजेक्ट पूरा करने का विकल्प ही बचता है।