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डॉक्टर बने मसीहा, रक्तदान कर बचाई मरीज की जान

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की जारी हड़ताल के बीच केपीसी मेडिकल कॉलेज में चौथे साल के छात्रों ने रक्तदान करके एक मरीज की जान बचाई। 34 साल की नसीमा लश्कर के गर्भाशय से लगातार ब्लीडिंग होने की वजह से उन्हें खून की जरूरत थी। पूरे प्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते उनके पति अमीन अली किसी तरह की मेडिकल इमर्जेंसी सुविधा की उम्मीद छोड़ चुके थे।

पेशे से लोहार अमीन अली ने पूरी घटना का जिक्र करते हुए बताया, ‘शुक्रवार को मेरी पत्नी को दो यूनिट रक्त की जरूरत थी और मैंने किसी तरह को ब्लड डोनर की व्यवस्था कर ली थी। लेकिन शनिवार को, मैं और किसी ब्लड डोनर को नहीं ढूंढ पाया। मेरी स्थिति को देखते हुए जूनियर डॉक्टरों ने मुझसे मेरी पत्नी का ब्लड ग्रुप पूछा और बिना समय गंवाए उनमें से तीन लोग मुझे अस्पताल के ब्लड बैंक लेकर गए।’

आगे भी ऐसे ही मदद करते रहेंगे डॉक्टरों ने कहा
एमबीबीएस फोर्थ इयर के स्टूडेंट चिनमय शर्मा, इंद्रदीप साहा और अमरेश कुमार प्रदर्शन स्थल छोड़कर अमीन के साथ गए। चिनमय ने बताया है की, ‘हम जरूरत पड़ने पर एक मरीज की मदद के लिए अपना काम किया। हम आगे भी ऐसा करते रहेंगे।’ शनिवार को महिला को दो यूनिट रक्त चढ़ाया जबकि एक यूनिट रक्त ब्लड बैंक में रख दिया गया है ताकि अस्पताल में किसी मरीज को जरूरत पड़ने पर दिया जा सके।

अभी भी डॉक्टरों की हड़ताल जारी
नसीमा ने एक कुछ हफ्ते पहले एक मृत बच्चे को जन्म दिया था। डॉक्टरों ने जांच में उनके गर्भाशय में इंफेक्शन पाया जिसके चलते उन्हें लगातार ब्लीडिंग हो रही थी। ब्लीडिंग रोकने में फेल होने के बाद पाया गया कि ऐसी स्थिति में हिस्टरेक्टमी बेहतर ट्रीटमेंट विकल्प रहेगा।

ब्लड बिना संभव नहीं थी सर्जरी
डॉ.रंजन बासु ने बताया, ‘नसीमा बीटा थैलेसीमिया करियर की मरीज हैं और उनका हीमोग्लोबिन 7.5 था। उन्हें सर्जरी की जरूरत थी और यह दो ब्लड यूनिट के बिना संभव नहीं था। मुझे अपने स्टूडेंट पर गर्व है कि उन्होंने हड़ताल से हटकर एक जीवन बचाया। हालांकि मैं उनकी मांगों का समर्थन करता हूं।’

सर्जरी के बाद मरीज को बेहतर महसूस हो रहा है और उनकी सेहत में भी काफी सुधार हो रहा है। डॉक्टरों की मदद से मरीज का परिवार भावुक है। अमीन अली ने बताया, ‘इतनी नकारात्मकता के बीच जूनियर डॉक्टरों ने मेरे परिवार को बचा लिया। मैं डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा का विरोध करता हूं जो लोगों का जीवन बचाते हैं।’

1034 डॉक्टरों ने अब तक दिया इस्तीफा
उधर, हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के इस्तीफे की संख्या 1034 हो गई है। हालांकि अब पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों और सरकार के बीच जारी गतिरोध के जल्द ही खत्म होने के आसार नजर आ रहे हैं। डॉक्टरों ने शनिवार रात को ममता से बातचीत करने पर सहमति जताई, लेकिन अब भी उनका कहना है कि मुलाकात की जगह हम तय करेंगे। इससे पहले शाम में उन्होंने राज्य सचिवालय में बनर्जी के साथ बैठक के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और इसकी बजाए उनसे गतिरोध सुलझाने को लेकर खुली चर्चा के लिए एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल आने को कहा था।

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