देश में बढ़ती बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। क्या कभी किसी ने यह जानने का प्रयास किया कि आखिर बेरोज़गारी की समस्या देश में क्यों है ? चलिए बढ़ती बेरोजगारी के कारणों पर एक नज़र डालें।
आप किसी भी बेरोजगार से सवाल करो।
मजदूरी करोगे ?
नहीं
दुकान पर काम करोगे ?
नहीं
बाइक / कार का काम जानते हो ?
नहीं
बिजली मैकेनिक बनोगे ?
नहीं
पेंटिंग का काम आता है ?
नहीं
मिठाई बनाना जानते हो ?
नहीं
प्राइवेट कंपनी में काम करोगे ?
नहीं
मूर्तियां, मटके, हस्तशिल्प वगैरह कुछ बनाना आता है?
नहीं
तुम्हारे पिता की ज़मीन है?
हाँ है।
तो खेती करोगे ?
नहीं, खेती मेरे बस की बात नहीं…!
ऐसे ही कुछ प्रश्न और पूछ लो जैसे- चाय बेचोगे, सब्ज़ी बेचोगे, फ़ेरी लगाओगे। प्लम्बर, बढ़ई / तरखान, माली / बागवान आदि का काम सीखोगे…. ??
सब का जवाब ना में ही मिलेगा।
फिर पूछो…
भैया किसी कला में निपुण तो होगे…?
नहीं, पर मैं BA पास हूँ, MA पास हूँ, डिग्री है मेरे पास… इत्यादि।
बहुत अच्छी बात है पर कुछ काम जानते हो ? कुछ तो काम आता होगा, सैकड़ों की संख्या में काम है ?
नहीं, काम तो कुछ नहीं आता I
बताओ अब ऐसे युवा बेरोज़गार सिर्फ हमारे ही देश में क्यों है…?
क्योंकि हमारा युवा दिखावे की जिंदगी जीने का आदी हो गया है l यहां सबको सिर्फ और सिर्फ कुर्सी वाली नौकरी चाहिए जिसमें कोई काम भी ना करना पड़े l सच में ऐसा युवा देश के लिए अभिशाप ही है l जहां अपनी आजीविका के लिए भी काम करने से हिचकिचाता है।
आज के युवा को खुद की कमजोरी को बेरोजगारी का नाम देते हुए शर्म आनी चाहिए l
हर साल लाखों बच्चे डिग्री लेकर निकलते है पर सच कहूँ तो सब के हाथ में कागज का टुकड़ा होता है हुनर नहीं l जब तक आप खुद में कुछ हुनर पैदा करके उसको आजीविका अर्जन के प्रयोग में नहीं लाते तब तक ख़ुद को बेरोजगार कहने का हक नहीं है, किसी को भी नहीं l
अगर बात करें सरकारों की, तो ये आती रहेंगी और जाती रहेंगी, कोई भी सरकार 100% सरकारी रोजगार नहीं दे सकती l
समय रहते भ्रामक दुनिया से निकलने का प्रयत्न करो और अपनी काबिलियत के अनुसार काम करना शुरू करो l अन्यथा जीवन बहुत मुश्किल भरा हो जाएगा l
जापान और चाइना जैसे देशों में छोटा सा बच्चा अपने खर्च के लिए कमाने लग जाता है और हमारे यहां 25-26 साल का युवा वर्ग केवल सरकारों की आलोचना करके समय की बर्बादी कर रहा है, कुछ नहीं होने वाला इनसे।
कितने भी आंदोलन कर लीजिए, किसी भी सरकार को कुछ भी फर्क़ नहीं पड़ने वाला l
…अंततः परिश्रम स्वयं को ही करना है l