नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के खिलाफ एक महिला द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में विशेष सुनवाई हुई। सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ आरोपों पर एक उचित बेंच (अन्य जजों की बेंच) सुनवाई करेगी। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता ‘बेहद गंभीर खतरे’ में है। इस दौरान सीजेआई ने आरोपों को निराधार बताते हुए इसे अगले हफ्ते कुछ अहम मामलों की होने वाली सुनवाई से उन्हें रोकने की कोशिश करार दिया।
रंजन गोगोई ने विशेष सुनवाई की वजह बताई
विशेष सुनवाई की वजह बताते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, ‘मैंने आज अदालत में बैठने का असामान्य और असाधारण कदम उठाया है क्योंकि चीजें बहुत आगे बढ़ चुकी हैं।।न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।’
‘आरोपों के पीछे कोई बड़ी ताकत’- गोगोई
सुनवाई के दौरान सीजेआई गोगोई ने कहा कि आरोपों के पीछे कोई बड़ी ताकत होगी, वे सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह अगले हफ्ते महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करने वाले हैं और यह उन्हें उन मामलों की सुनवाई से रोकने की कोशिश है। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका को अस्थिर करने के लिए बड़ी साजिश की गई है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस कुर्सी पर बैठूंगा और बिना किसी भय के न्यायपालिका से जुड़े अपने कर्तव्य पूरे करता रहूंगा।’ बता दें कि सीजेआई अगले हफ्ते राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका, पीएम मोदी की बॉयोपिक के रिलीज के साथ-साथ तमिलनाडु में वोटरों को कथित तौर पर रिश्वत देने की वजह से वहां चुनाव स्थगित करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने वाले हैं। हालांकि, तमिलनाडु में वेल्लोर को छोड़कर सभी लोकसभा सीटों पर वोटिंग हो चुकी है।
न्यायपालिका में 20 साल की निःस्वार्थ सेवा का यह इनाम: CJI
सीजेआई ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा, ‘यह अविश्वसनीय है। मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का खंडन करने के लिए मुझे इतना नीचे उतरना चाहिए।’ आरोपों से आहत सीजेआई ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका में 20 साल की निःस्वार्थ सेवा का यह इनाम मिला है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में 20 सालों की निःस्वार्थ सेवा के बाद उनके पास 6.8 लाख रुपये बैंक बैलेंस हैं और पीएफ में 40 लाख रुपये हैं। सीजेआई गोगोई ने कहा कि जब उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला तो मेरे खिलाफ आरोप लगाने के लिए इस महिला को खड़ा किया गया।
सीजेआई ने बोला कि कुछ मीडिया संस्थानों ने एक महिला द्वारा लगाए गए अपुष्ट आरोपों को प्रकाशित किया। उन्होंने कहा कि महिला की आपराधिक पृष्ठभूमि है और वह अपने क्रिमिनल रेकॉर्ड की वजह से 4 दिनों तक जेल में रह चुकी है। सीजेआई ने कहा कि पुलिस भी महिला के व्यवहार को लेकर उसे चेतावनी दे चुकी है।
संयम बरते मीडिया: बेंच
बेंच में शामिल अन्य 2 जजों- जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना ने मीडिया से कहा कि वह जिम्मेदारी और सूझबूझ के साथ काम करे और सत्यता की पुष्टि किए बिना महिला के शिकायत को प्रकाशित न करे। उन्होंने कहा, ‘हम कोई न्यायिक आदेश पारित नहीं कर रहे हैं लेकिन यह मीडिया पर छोड़ रहे हैं कि वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी से काम करे।’
जस्टिस अरुण मिश्रा बोले, ‘न्यायिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को देखते हुए हम सभी न्यायपालिका की स्वंतत्रता को लेकर चिंतित हैं।।।।इस तरह के अनैतिक आरोपों से न्यायपालिका पर से लोगों का विश्वास डगमगाएगा।’