कानपुर। यूपी यूके न्यूरो साइंस सोसाइटी द्वारा शनिवार को होटल लैण्डमार्क 25 वें यूपी-यूके न्यूरोकॉन वार्षिक सम्मेलन का आयोजित किया गया इस मौके पर न्यूरोफिजीशियन एवं पूर्व प्रधानाचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रो. नवनीत कुमार द्वारा लिखित पुस्तिका का न्यूरो रिहैब्लीटेशन ( न्यूरो पुनर्वास) का प्रो. देविका नाग के द्वारा विमोचन किया गया।
प्रो. नवनीत कुमार ने पुस्तिका के वारे बताते हुए कहा कि यह 36 पृष्ठों की अत्यन्त उपयोगी पुस्तिका है। इस पुस्तिका में स्नायु तंत्र के रोगों से ग्रसित रोगियों जैसे स्ट्रोक एवं सिर की चोटों आदि के बाद हुई डिसेबिलिटी के प्रबन्धन करने के विषय में विस्तार से लिखा गया है। यह पुस्तिका www.neurohealth.co.in पर e-booklet के फार्म में उपलब्ध रहेगी।
ब्रेन स्ट्रोक के कारण प्रति वर्ष 6 लाख से अधिक लोगों की होती है मृत्यु
हमारे देश में प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख लोगों की मृत्यु रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट के कारण हो जाती है एवं उससे भी अधिक संख्या में रोगी डिसेबिल हो जाते हैं। इसी प्रकार ब्रेन स्ट्रोक के कारण प्रति वर्ष 6 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है और इससे भी अधिक
संख्या में लोग डिसेबिल हो जाते हैं। इस प्रकार स्नायु तत्रं के रोगों के कारण हुई डिसेबिलिटी को फिजियोथिरैपी के साथ-साथ न्यूरो रिहैब्लीटेशन (न्यूरो पुनर्वास) के द्वारा ठीक किया जा सकता है। स्नायु तंत्र के रोगों के कारण रोगियों को बोलने की समस्या, चलने की कठिनाई एवं युरीनरी ब्लैडर की समस्या आदि प्रमुख डिसेबिलिटी होती हैं। इन सभी डिसेबिलिटी के विषय में इस पुस्तिका में विस्तार पूर्वक बताया गया है।
डिसेबिलिटी के सही प्रबन्धन में सहायक होगी यह पुस्तक
उल्लेखनीय है कि कुछ वर्ष पूर्व तक न्यूरो रिहैबिलिटेशन का अर्थ फिजियोथरैपी तक ही सीमित समझा जाता था परन्तु इस क्षेत्र में नवीन शोधों एवं नवीन औषधियों की खोज के पश्चात इसका स्वरूप पूर्णतयः बदल गया है यहाँ तक कि सरकार द्वारा जन मानस को उपलब्ध करायी गयी
सुविधाओं की भी इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका हो गयी है। इस पुस्तिका के माध्यम से समाज में स्नायु तत्रं के रोगों के कारण रोगियों को हो रही डिसेबिलिटी के सही प्रबन्धन में न्यूरो रिहैबिलिटेशन के विषय में समुचित जानकारी देने का प्रयास किया गया है।
मुख्य रूप से ये रहे मौजूद
कार्यक्रम और पुस्तिका विमोचन के मौके पर प्रो. आई.एन. बाजपेयी, प्रो. शशांक काले, प्रो. मजहर हुसैन, प्रो. डी.के. छाबरा, प्रो. देविका नाग, डा. विकास शुक्ला, डा. क्षितिज श्रीवास्तव, डा. संजय शर्मा, डा. जैफरी बू्रस (यू.एस.), प्रो. आर.के. शुक्ला एवं प्रो. आर.के. गर्ग आदि ने भाग लिया।