Home International पाकिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन ने जताई चिंता, कहा नहीं होना चाहिए...

पाकिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन ने जताई चिंता, कहा नहीं होना चाहिए लड़कियों का जबरन धर्मांतरण

921
0

इंटरनेशनल डेस्क। पाकिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन ने देश में हिंदू एवं ईसाई लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और शादियों पर बीते दिन चिंता जाहिर की और कहा कि पिछले साल अकेले सिंध प्रांत में ऐसे तकरीबन 1000 मामले सामने आए हैं।

अपनी सालाना रिपोर्ट में ‘पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग’ (एचआरसीपी) ने कहा कि सरकार ने ऐसी जबरन शादियों को रोकने के लिए अतीत में बहुत थोड़ी कोशिशें की हैं। उसने सांसदों से इस चलन को खत्म करने के लिए प्रभावी कानून बनाने को भी कहा है। आयोग ने 335 पन्नों की ‘2018 में मानवाधिकार की स्थिति’ रिपोर्ट में कहा है कि 2018 में सिर्फ सिंध प्रांत में ही हिन्दू एवं ईसाई लड़कियों से संबंधित अनुमानित एक हजार मामले सामने आए। जिन शहरों में बार-बार ऐसे मामले हुए हैं उनमें, उमरकोट, थरपारकर, मीरपुरखास, बदीन, कराची, टंडो अल्लाहयार, कश्मोर और घोटकी शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण और जबरन शादी का कोई प्रमाणिक आंकड़ा मौजूद नहीं है। उसमें बताया गया है कि ‘सिंध बाल विवाह रोकथाम अधिनियम 2013’ को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया और जबरन शादियों पर सरकार की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर पुलिस की मिली-भगत नहीं रही तो भी अधिकतर मामलों में उसका रवैया असंवेदनशील और बेरूखी भरा रहा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 में पाकिस्तान में अपनी आस्था के मुताबिक जिदंगी गुजारने पर अल्पसंख्यकों ने उत्पीड़न का सामना किया, उन्हें गिरफ्तार किया गया। यहां तक की कई मामले में उनकी मौत भी हुई। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट आने से करीब एक हफ्ते पहले इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने घोषित किया है कि रवीना (13) और रीना (15) को हिन्दू से जबर्दस्ती मुसलमान नहीं बनाया गया है और उन्हें उनके पतियों के साथ रहने की इजाजत दे दी। ‘रसूखदार’ व्यक्तियों ने होली की पूर्व संध्या पर इन दोनों नाबालिग हिन्दू लड़कियों का सिंध प्रांत के घोटकी जिले से कथित रूप से अपहरण कर लिया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here