Home health पानी में की गई मस्ती कर न दे आपको बीमार ?

पानी में की गई मस्ती कर न दे आपको बीमार ?

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हेल्थ डेस्क। अगर आप भी किसी समंदर के किनारे, बीच पर हॉलीडे मनाने जा रहे हैं तो समंदर के पानी में नहाने और तैरने से पहले यह खबर जरूर पढ़ लें। समुद्र के पानी में तैरना, खेलना और मस्ती करना भले ही रिफ्रेशिंग एक्सपीरियंस हो लेकिन एक नई रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि समुद्र के पानी में तैरने और नहाने से स्किन, माइक्रोबायोम में बदल जाती है, जिससे कान और त्वचा पर इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

माइक्रोबायोम में बदलाव यानी इंफेक्शन के प्रति अतिसंवेदनशील
एक रिसर्च के नतीजों के मुताबिक, माइक्रोबायोम में बदलाव संक्रमण यानी इंफेक्शन के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्रा और इस स्टडी की लीड ऑथर मारिसा चैटमैन नील्सन ने कहा, ‘हमारे डेटा ने पहली बार प्रदर्शित किया है कि समुद्र के पानी के संपर्क में आने पर इंसान की त्वचा की विविधता और संरचना में बदलाव हो सकता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य, स्थानीयकृत और प्रणालीगत रोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।’

एक रिसर्च के नतीजों के मुताबिक, माइक्रोबायोम में बदलाव संक्रमण यानी इंफेक्शन के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकते हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्रा और इस स्टडी की लीड ऑथर मारिसा चैटमैन नील्सन ने कहा, ‘हमारे डेटा ने पहली बार प्रदर्शित किया है कि समुद्र के पानी के संपर्क में आने पर इंसान की त्वचा की विविधता और संरचना में बदलाव हो सकता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य, स्थानीयकृत और प्रणालीगत रोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।’

क्या आपको भी पेट में दर्द, मरोड़, उल्टियां, त्वचा में जलन और बाल गिरने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है? हो सकता है इन सभी समस्याओं की वजह हो खुद को तरोताजा करने के लिए स्विमिंग पूल में लगायी गयी आपकी डुबकी।।। ऐसा जरूरी नहीं वॉटर रीक्रिएशन यानी पानी से मनोरंजन के लिए बनायी गई ये जगहें- स्विमिंग पूल, वॉर्टर पार्क, लग्जरी वॉटर टब और स्पा उतना सुरक्षित हो जितना आप उसे सोचते हैं। वैसे तो स्विमिंग करना मस्ती भरा होता है और यह एक बेहतरीन एक्सर्साइज भी है लेकिन कई बार पूल में स्विमिंग करना आपको बीमार कर सकता है..

बचें पानी से होने वाली बीमारियों से
पानी से जुड़ी मनोरंजक गतिविधियों से होने वाली बीमारियां दूषित पानी के संपर्क में आने से, दूषित पानी पीने से या फिर पानी में मौजूद खतरनाक केमिकल्स या जर्म्स की वजह से होती हैं। RWI में कई तरह के इंफेक्शन्स जैसे- पेट से जुड़ी बीमारियां, स्किन, कान, आंख, श्वसन तंत्र और न्यूरॉलजिकल इंफेक्शन शामिल है। हालांकि इन सबमें सबसे कॉमन समस्या है डायरिया की। डॉक्टरों का भी कहना है कि स्विमिंग पूल के पानी में ऐसे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जो डायरिया का कारण बनते हैं। लिहाजा बीमार होने से बचना है तो इस बात का ख्याल रखें कि पूल का पानी मुंह के अंदर न जाए। ज्यादातर लोगों का ऐसा मानना है कि स्विमिंग पूल के पानी में क्लोरीन डालने से पूल में मौजूद जर्म्स तुरंत मर जाते हैं। लेकिन यह सच्चाई नहीं है। ज्यादातर रोगाणु, क्लोरीन के प्रति सहनशील होते हैं और उनका खात्मा करने में क्लोरीन को कई दिनों का वक्त लग सकता है।

स्विमिंग पूल का पानी आपको बीमार न करे इसलिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें..

  • स्विमिंग पूल में जाने से पहले शावर लेना न भूलें।
  • अगर हाल ही में आपको डायरिया हो चुका है तो स्विमिंग पूल में जाने से परहेज करें।
  • पानी में की गई मस्ती से बीमार न हो जाएं?
  • बाजार से PH लेवल टेस्ट स्ट्रिप खरीदें और स्विमिंग पूल में जाने से पहले पूल के पानी का PH लेवल जरूर चेक करें।
  • इस बात का ख्याल रखें कि पूल ऑपरेटर्स और स्टाफ जरूरी केमिकल्स की मदद से नियमित रूप से पूल के पानी की सफाई करते हों।
  • साथ ही यह भी ध्यान रखें कि पूल का पानी दूषित होने पर पूल ऑपरेटर्स उसकी अच्छी तरह से सफाई करें और केमिकल की भी जांच करें।
  • स्विमिंग के बाद अगर शरीर पर रैशेज, लाल चकत्ता या ड्राई स्किन हो तो ऐंटी-इचिंग क्रीम या मेंथॉल क्रीम लगाएं। 7-10 दिन के अंदर अगर रैशेज ठीक न हों तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • अगर स्विमिंग पूल के पानी की वजह से आंखों में इंफेक्शन हो गया हो तो आई डॉक्टर से संपर्क करें और ट्रीटमेंट के कुछ दिनों बाद तक चश्मे का प्रयोग करें।
  • पानी में क्लोरीन की मात्रा ज्यादा होने पर बाल गिरने की समस्या हो सकती है लिहाजा स्विमिंग कैप का इस्तेमाल करें।
  • पेट से जुड़ी बीमारियां, सांस की बीमारी, स्किन इंफेक्शन का खतरा
  • शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समुद्र के पानी के संपर्क में आने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानी पेट से जुड़ी बीमारियां, सांस संबंधी बीमारी, कान में इंफेक्शन और स्किन इंफेक्शन का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। इस स्टडी के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने बीच पर मौजूद 9 व्यक्तियों की जांच की जिन्हें 12 घंटे तक स्नान नहीं करने दिया गया। इसके अलावा उन्हें सनस्क्रीन के उपयोग की भी मनाही की गई। साथ ही इस बात का ध्यान रखा गया कि उन्होंने पिछले 6 महीनों के दौरान कोई ऐंटिबायॉटिक दवाओं का सेवन न किया हो।

नहाने से पहले और बाद में लिए गए सैंपल से हुआ खुलासा
समुद्र के पानी में जाने से पहले इन स्टडी में शामिल इन प्रतिभागियों के टांगों के पीछे की स्किन (calf)के नमूनों को रुई पर लेकर रख लिया। जब प्रतिभागी समुद्र में 10 मिनट तैरकर बाहर आए और शरीर को पूरी तरह से सुखा लिया उसके 6 घंटे और फिर 24 घंटे बाद फिर से स्किन के नमूने लिए गए। स्टडी के नतीजों में यह बात सामने आयी कि समुद्र में स्विमिंग करने से पहले हर व्यक्ति के शरीर पर अलग-अलग तरह के कम्यूनिटीज थे लेकिन स्विमिंग के बाद सभी के शरीर पर एक जैसे कम्यूनिटीज।

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