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बिना मास्क महिला संग फोटो खिंचवाने पर ढाई लाख का जुर्माना भरेंगे राष्ट्रपति

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सेंटियागो। कानून का सख्ती से पालन किसी भी देश की तरक्की का परिचायक है। कोरोना वायरस से लड़ाई में मास्क सबसे बड़ा हथियार है, इसके बावजूद लोग मास्क के इस्तेमाल से कतराते हैं। हालांकि, ऐसा करने वालों के खिलाफ पूरी दुनिया में कार्रवाई भी हो रही है। चिली के राष्ट्रपति को भी ऐसी ही कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। राष्‍ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरो ने समुद्र तट पर बिना मास्क के फोटो खिंचवाई थी। स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों ने इसे नियमों का उल्लंघन करार देते हुए राष्ट्रपति पर जुर्माना लगा दिया है।

चिली में कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सार्वजनिक स्‍थानों पर मास्‍क पहनना अनिवार्य किया गया है. स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की तरफ से कहा गया है कि राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरो ने मास्क न लगाकर कोरोना की रोकथाम के लिए लागू नियमों का उल्लंघन किया है। इसी के चलते उन पर करीब ढाई लाख रुपये का जुर्माना भरना लगाया गया है।

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनजर चिली में नियमों का कड़ाई से पालन करवाया जा रहा है। यहां नियमों के उल्‍लंघन पर जुर्माने के साथ-साथ जेल का भी प्रावधान है। कुछ वक्त पहले सोशल मीडिया पर राष्‍ट्रपति पिनेरा की एक सेल्‍फी वायरल हुई थी। जिसमें पिनेरा बिना मास्‍क के नजर आए थे। फोटो वायरल होने के बाद राष्‍ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसके बावजूद उन पर जुर्माना लगा दिया है।

मास्क नहीं लगाने पर हुई आलोचना के बाद राष्ट्रपति ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि वे अपने घर के पास समुद्र तट पर अकेले घूम रहे थे, तभी एक महिला उनके पास आई और सेल्‍फी लेने का आग्रह किया। महिला के इस अनुरोध को वह अस्‍वीकार नहीं कर सके। वायरल सेल्‍फी में नजर आ रहा है कि राष्ट्रपति और महिला काफी करीब खड़े हैं और राष्ट्रपति ने मास्क भी नहीं लगाया है।

वैसे, इससे पहले भी राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरो को कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है। पिछले साल जब सैंटियागो में असमानता को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे, तब राष्ट्रपति पिज्जा पार्टी में व्यक्त थे। उनकी ये फोटो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। इसके बाद जब महामारी के चलते लोग घरों में रहने को मजबूर हुए थे उन्होंने विरोध-प्रदर्शन का प्रतीक बन चुके स्क्वायर पर जाकर फोटो भी खिंचवाई थी। जो भी हो लेकिन कानून तो कानून है, जिसका खामियाजा अब राष्ट्रपति को भुगतना ही होगा।

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