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बैंकों की तीन महीने EMI टालना कितना ग्राहकों के लिए फ़ायदेमंद ?

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नई दिल्ली। कई सरकारी बैंक और निजी बैंक भारतिय रिज़र्व बैंक की सलाह के अनुसार अपने ग्राहकों को ईएमआई टालने का विकल्प दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि आपको तीन महीने तक अपने घर, कार या दूसरे लंबी अवधि के क़र्ज़ की मासिक किस्त यानी ईएमआई चुकाना कम्पलसरी नहीं है। तो आज हम इसी बात का बिश्लेषण करेंगे क्या
तीन महीने EMI टालना वाकई ग्राहकों के लिए फ़ायदेमंद है।

दरअसल कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए 1 मार्च, 2020 से लेकर 31 मई, 2020 तक पड़ने वाले टर्म लोन की किस्तें और कैश क्रेडिट फैसिलिटी पर ब्याज की उगाही को ग्राहकों से टालने का सुझाव RBI द्वारा बैंकों को दिया गया है।

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पिछले हफ्ते भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जब ये घोषणा की तो लोगों के दिमाग में तमाम सवाल आने लगे कि इस घोषणा का मतलब क्या है? ये किसके लिए है और कौन इसके योग्य हैं?

इसपर एक्सपर्ट्स का कहना है कि बैंकिंग रेग्युलेटर आरबीआई का बैंकों को ये सुझाव है और ये कोई आदेश नहीं है। यानी बैंकों को विकल्प दिया गया है कि उन्हें ख़ुद तय करना होगा कि वो ग्राहकों को इसका फ़ायदा कैसे देंगे।

बैंकिंग सिस्टम में अभी जो हालात हैं और डूबते कर्जों की न ख़त्म होती कहानी जारी है, उसे देखते हुए कई बैंक ख़ासकर निजी बैंक अपनी वित्तीय सेहत का हवाला देते हुए रिज़र्व बैंक की सलाह की अनदेखी भी कर सकते हैं।

अब देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने कहा है कि वो रिज़र्व बैंक की घोषणा पर अमल करेगा। एसबीआई के अलावा कई अन्य सरकारी बैंक भी हैं जिन्होंने लोन की किश्त पर मैरिटोरियम की पेशकश की है। इनमें इंडियन बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं। पहला तो ये कि कुछ बैंकों ने मार्च की आख़िरी तारीख़ यानी 31 मार्च को इस मसले पर दिशानिर्देश जारी किए हैं, यानी अब अधिकांश ग्राहकों के पास सिर्फ़ दो ही किस्तें (अप्रैल और मई की) की किस्तें टालने का विकल्प होगा।

लेकिन गौर करने बाली बात ये है कि बैंकों की ओर से भले ही आपकी ईएमआई को होल्ड कर दिया जाए, लेकिन ब्याज का मीटर चलता ही रहेगा और बाद में आपसे इसकी भरपाई की जाएगी। जानकारों का बिचार है कि अगर आपके पास वाकई पैसों की तंगी है। तभी ईएमआई टालने का विकल्प चुनना समझदारी होगा, वर्ना इसका असर आपकी जेब पर ही पड़ेगा।

बैंकिंग एक्सपर्ट बताते हैं कि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड के मामले में तो इसकी चपत और भारी होगी। दरअसल, होम लोन और ऑटो लोन के मुक़ाबले पर्सनल लोग अधिक महंगे होते हैं, जाहिर है ब्याज के तौर पर आपको अधिक रकम चुकानी होगी। इससे ग्राहकों को दोहरी चपत लगेगी। एक तो कर्ज की अवधि तीन महीने आगे खिसक जाएगी और दूसरा कर्ज़ की राशि में भी बढ़ोतरी होगी।

मसलन, अगर आपका लोन 1 मार्च 2025 को ख़त्म हो रहा है तो अब ये 1 जून 2025 को ख़त्म होगा। जिन लोगों ने मार्च की किस्त जमा कर दी है उन मामले में ये अवधि दो महीना ही बढ़ेगी। हालाँकि कुछ बैंकों ने इसमें भी ग्राहकों को राहत दी है। बैंक ऑफ़ बड़ौदा का कहना है कि वो मार्च की किस्त ग्राहकों को वापस लौटा देगा। रिज़र्व बैंक की अधिसूचना के मुताबिक़ भारतीय स्टेट बैंक ने स्पष्ट किया है कि इस अवधि का ब्याज ग्राहकों से ही वसूला जाएगा।

कई बैंकों ने अपनी वेबसाइट पर इसे उदाहरण देकर समझाया भी है। अगर किसी ग्राहक का कर्ज अगले 15 साल में पूरा होना है और उसने 30 लाख रुपये का लोन ले रखा है तो इन तीन महीनों की कर्ज राशि २ लाख 35 हजार रुपये यानी तकरीबन आठ ईएमआई के बराबर होगी। इसका केलकुलेशन स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की वर्तमान होमलोन ब्याज दर 7 2 फ़ीसदी के अनुसार है। क्रेडिट कार्ड आधारित पेमेंट ऐप CRED ने भी अपने सभी यूजर्स को इस बारे में बताया कि अगर वो अपनी किस्त का भुगतान नहीं करते हैं तो इसके क्या नतीजे हो सकते हैं।

संदेश में कहा गया है, “सीआरईडी चाहेगा कि अगर संभव हो तो 36 से 42 फ़ीसदी के चक्रवृद्धि ब्याज से बचने के लिए आपको देय धनराशि चुका देनी चाहिए।”

अब इन सभी बातों पर अगर गौर करें तो तीन महीने की EMI
की छूट कुछ समय की राहत तो दे सकती है पर अंततः भुगतान आपको करना पड़ेगा। उदाहरण आपके सामने है तीन क़िस्त ने देने पर आपको ब्याज सहित आठ महीने की क़िस्त के बराबर रकम चुकानी होगी।

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