मुंबई। एक्टिंग और डायलॉग डिलिवरी के लिए अपनी एक अलग तरह की पहचान बनाने वाले इरफान खान नहीं रहे। बुधवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में उनका निधन हो गया। 54 साल के इरफान मंगलवार सुबह अपने घर में बाथरूम में गिर गए थे। इसके बाद उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी कोलन इंफेक्शन की समस्या बढ़ गई थी। आपको बता दें कि बीते शनिवार को ही उनकी मां सईदा बेगम का भी इंतकाल हो गया था। वे 95 साल की थीं और जयपुर में रहती थीं। लॉकडाउन और खुद की तबीयत खराब होने के कारण इरफान खान अपनी मां के जनाजे में शामिल नहीं हो पाए थे। उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए मां को आखिरी विदाई दी थी।
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इरफान ने ट्यूमर का लंदन में कराया था इलाज
इरफान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर हुआ था। मार्च 2018 में जब इरफान को अपनी बीमारी का पता चला तो उन्होंने खुद फैंस के साथ यह खबर साझा की थी। इसका उन्होंने लंदन में इलाज भी कराया था। इलाज कराकर वे अप्रैल 2019 में ही भारत लौटे थे। लौटने के बाद इरफान ने ‘अंग्रेजी मीडियम’ फिल्म की शूटिंग शुरू की थी। यह फिल्म हाल ही में रिलीज हुई।
एनएसडी के थे स्टूडेंट इरफान खान
इरफान के परिवार में पत्नी सुतापा देवेंद्र सिकदर और दो बेटे बाबिल और अयान हैं। इरफान खान टोंक के नवाबी खानदान से ताल्लुक रखते हैं। उनका बचपन भी टोंक में ही गुजरा। उनके माता-पिता टोंक के ही रहने वाले थे। 7 जनवरी 1967 को जन्मे इरफान का पूरा नाम साहबजादे इरफान अली खान था। वे एक्टिंग में बाय चांस आ गए। वे क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वे फैमिली बिजनेस को संभालें। हालांकि, इरफान को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में जाने का मौका मिल गया और यहीं से उनका एक्टिंग करियर शुरू हुआ।
मकबूल, लंच बॉक्स, पीकू, पान सिंह तोमर ने उन्हें दिलाई अलग पहचान
इरफान ने ‘मकबूल’, ‘लाइफ इन अ मेट्रो’, ‘द लंच बॉक्स’, ‘पीकू’, ‘तलवार’ और ‘हिंदी मीडियम’ जैसी फिल्मों में काम किया। उन्हें ‘हासिल’ (निगेटिव रोल), ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ (बेस्ट एक्टर), ‘पान सिंह तोमर’ (बेस्ट एक्टर क्रिटिक) और ‘हिंदी मीडियम’ (बेस्ट एक्टर) के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। ‘पान सिंह तोमर’ के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड दिया गया था। कला के क्षेत्र में उन्हें देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्मश्री भी दिया गया।
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इरफान की अदायगी एक करिश्मा है: जावेद अख्तर
जावेद अख्तर ने बताया कि इरफान से आखिरी बार लंदन में मुलाकात हुई थी। शेर-ओ-शायरी की बातें हुईं। उन्होंने कहा था कि जल्द लौटेंगे तो फिर इत्मीनान से बात होगी। उनकी अदायगी एक करिश्मा है। बीमारी के दौरान भी काम करते रहे, उनमें ये जज्बा था।