एजुकेशन डेस्क। सीबीएसई द्वारा आयोजित12वीं विज्ञान की इस साल की परीक्षा देने वाले दिल्ली रीजन के छात्रों पर नंबरों की बारिश हुई है। जिन छात्रों को मुख्य पेपर जैसे फिजिक्स, मैथमेटिक्स और केमिस्ट्री में 84 फीसदी या उससे कम नंबर आए थे उनको बोर्ड ने तीन विषयों में कुल 32 नंबर तक बढ़ाकर दिए या तीनों विषयों के कुल मार्क्स का करीब 11 फीसदी बढ़ाकर दिया।
चार विषयों में करीब 56 नंबर तक बढ़ाकर दिए
टीआईओ के हाथ लगी इस साल के बोर्ड एग्जाम की डीटेल्स से खुलासा हुआ है कि सीबीएसई ने फिजिक्स और मैथमेटिक्स में 11-11 नंबर तक, केमिस्ट्री में 10 नंबर तक, राजनीतिक विज्ञान में छह नंबर तक और अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान एवं बिजनस स्टडीज में पांच-पांच नंबर बढ़ाकर दिए। सोशियोलॉजी में दो और जियोग्राफी में एक मार्क्स बढ़ाकर दिए गए। इस तरह सभी विषयों में कुल मिलाकर 56 नंबर ज्यादा दिए गए। चार विषयों के लिए बढ़ाकर दिया गया यह नंबर तीन सालों में सबसे ज्यादा है। 2016 के बाद से 12वीं क्लास के एग्जाम में नंबर बढ़ाकर देने का रुझान चल निकला है। 2016 और 2018 में कुछ विषयों में तो 15 नंबर तक बढ़ाकर दिए गए।
क्या है मॉडरेशन की प्रक्रिया?
मॉडरेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें छात्रों को नंबर बढ़ाकर दिया जाता है। नंबर बढ़ाकर कई कारणों से दिया जाता है। कई बार ऐसा होता है कि कुछ सेट में सवाल आसान होते हैं तो कुछ में मुश्किल होते हैं, कुछ में सवाल उलझाने वाले होते हैं तो दूसरे में सरल होते हैं। अब अगर मुश्किल और आसान सेट वालों को बराबर नंबर दिया जाता है तो उन छात्रों के साथ नाइंसाफी होगी जिनको मुश्किल सवाल मिले थे। एक को फायदा और दूसरे के साथ नाइंसाफी, इस स्थिति से बचने के लिए ही नंबर बढ़ाकर दिए जाते हैं।
सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी कैंडिडेट को समान रूप से नंबर नहीं मिलता है। एक अधिकारी ने बताया, ‘जो छात्र विषय में फेल हो जाते हैं उनको नंबर बढ़ाकर नहीं दिया जाता है। इसके अलावा यह देखा जाता है कि नंबर बढ़ाकर देने के बाद किसी छात्र का नंबर 95 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जैसे अगर किसी छात्र को 89 नंबर पहले से मिले हैं और उसको नंबर बढ़ाकर दिया जाना है तो उसे छह नंबर ही बढ़ाकर दिया जाएगा। इससे आधा नंबर भी ज्यादा नहीं दिया जाएगा।’
पिछले चार सालों में सीबीएसई ने उन विषयों की संख्या कम कर दी है जिसमें नंबर बढ़ाकर दिए जाते हैं। 2017 में 10 विषयों और 2016 में 15 विषयों में नंबर बढ़ाकर दिए गए थे। साल 2018 में छह विषयों में दिए गए। इस साल विषयों की संख्या बढ़ाकर नौ की गई है।
साल 2016 में खूब नंबर बढ़ाकर देने पर हुआ था विवाद
2016 में अप्रत्याशित तौर पर नंबर बढ़ाकर दिए गए। इसको लेकर जब विवाद हुआ तो 24 अप्रैल, 2017 को एक बैठक बुलाई गई। बैठक में सीबीएसई और अन्य 32 राज्य बोर्डों के बीच मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने को लेकर एकराय बनी। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने बीच में पॉलिसी को खत्म नहीं करने को कहा। केंद्र सरकार ने 2018 में 12वीं क्लास की परीक्षा देने वाले सभी छात्रों को एक समान नंबर सुनिश्चित करने के लिए एक कमेटी इंटर बोर्ड वर्किंग ग्रुप (आईडब्ल्यूबीजी) का गठन किया। 6 अगस्त, 2018 को सरकार ने लोकसभा में कहा कि आईडब्ल्यूबीजी ने सभी बोर्डों द्वारा नंबरों के मॉडरेशन को खत्म करने की सिफारिश की है। सरकार ने कहा था कि मॉडरेशन सिर्फ उस स्थिति में होना चाहिए जब प्रश्नपत्रों के अलग-अलग सेटों में सवालों के कठिनाई स्तर और जटिलता में फर्क हो। बाकी परिस्थिति में मॉडरेशन खत्म होना चाहिए।