Home Spritual भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक चिंतन और जलवायु की अमिट छाप लिए है जीवन...

भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक चिंतन और जलवायु की अमिट छाप लिए है जीवन दायिनी गंगा-आनंदीबेन पटेल

381
0

लखनऊ। निर्मल जल और अमृतमई जीवन दायिनी गंगा, जिसमें स्नान से जीवन के समस्त पापा धूल जाते हैं। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को राजभवन से ‘अतुल्य गंगा परियोजना’ का ऑनलाइन शुभारंभ किया। यह प्रयागराज से शुरू होकर 10 अगस्त तक 5100 किलोमीटर पैदल परिक्रमा होगी। इस दौरान उन्होंने कहा, “गंगा नदी हमारे देश व हमारी संस्कृति की पहचान व अमूल्य धरोहर है।” राज्यपाल ने कहा कि जीवन दायिनी गंगा भारत की संस्कृति, आध्यात्मिक चिंतन, जलवायु और अर्थव्यवस्था सभी पर अपनी अमिट छाप छोड़ती है। उन्होंने कहा कि गंगा के दोनों तटों पर पौधरोपण करते हुए गांवों और शहरों से गुजरने वाली भारत की सबसे लंबी इस पदयात्रा से देश में गंगा सहित सभी नदियों व पर्यावरण संरक्षण के प्रति नई ऊर्जा का संचार होगा। इस गंगा यात्रा से गंगा संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता व सहभागित भी बढ़ेगी।

पटेल ने कहा कि गंगा एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। नदियां पर्यावरण और प्रातिक जैव विविधिता की संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि गंगा नदी अपने आसपास के क्षेत्र में मानव समाज और अन्य जीवों के साथ विभिन्न प्रजातियों के जलीय जीव-जंतुओं का भी पोषण करती है।

राज्यपाल ने कहा कि देश, प्रदेश एवं समाज का विकास हो, मगर विकास ऐसा हो जो प्राकृतिक स्रोतों को कम से कम नुकसान पहुंचाए। उन्होंने अपील की, “हम सभी देशवासी प्राणदायिनी गंगा के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट को दूर करने के लिए एकजुट होकर इसे निर्मल बनाए रखने का प्रयास करें।” प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है और हमें भी कुछ देने की लालसा से प्रकृति का संरक्षण करना होगा। तभी हमारा मानव जीवन सार्थक हो सकेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here