बिज़नेस डेस्क। केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी पर लगाम लगाने को लेकर मल्टीप्लेक्सेज के लिए इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग प्रणाली को अपनाना अनिवार्य कर दिया है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि रजिस्टर्ड मल्टीप्लेक्सेज को इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक टैक्स इनवॉयस जारी करना होगा और इसके लिए उनके द्वारा जारी इलेक्ट्रॉनिक टिकट को टैक्स इनवॉयस माना जाएगा। सरकार के इस कदम के साथ ही सिनेप्लेक्सेज द्वारा दिए जा रहे कलर्ड टिकट अब इतिहास बन सकते हैं।
टैक्स कल्सटैंट्स का कहना है कि पीवीआर की अगुवाई वाले अधिकतर मल्टीप्लेक्स पहले से ही दर्शकों को ई-टिकट जारी कर रहे हैं और मल्टीप्लेक्सेज के सबसे बड़े खिलाड़ी के इस कदम को अधिकतर लोग आने वाले महीनों में सिंगल स्क्रीन थियेटर में भी ई-टिकटिंग व्यवस्था लागू करने के एक संकेत के तौर पर देख रहे हैं।
जीएसटी परिषद के इस फैसले के साथ ही मल्टीप्लेक्सेज को बी2सी (बिजनस टु कंज्यूमर) बिजनसेज के लिए इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयस एक टेस्ट केस के रूप में भी देखा जा रहा है, जो अब तक केवल बिजनस-टु-बिजनस ट्रांजैक्शंस के लिए ही जरूरी था।
डेलॉयट इंडिया पार्टनर एम. एस. मणि ने कहा, ‘मल्टीप्लेक्सेज द्वारा प्रस्तावित ई-इनवॉयसिंग संभावित रूप से बी2सी ट्रांजैक्शंस के लिए अनिवार्य ई-इनवॉयसिंग प्रणाली की शुरुआत है। वैल्यू चेन के पूरी तरह ई-ट्रेल के लिए आने वाले समय में इसका अन्य बी2सी ट्रांजैक्शंस तक विस्तार किया जा सकता है।’
टैक्स एक्सपर्ट्स बी2सी ट्रांजैक्शंस को एक लीकेज पॉइंट के तौर पर देखते हैं, क्योंकि इसमें अक्सर नकदी का भुगतान किया जाता है और ट्रांजैक्शंस पूरी तरह दर्ज नहीं होता, जिसके परिणामस्वरूप टैक्स की चोरी होती है और काला धन अस्तित्व में आता है।