इंटरनेशनल डेस्क। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के ‘बुरे दिन’ आज से शुरू हो सकते हैं। दरअसल, चीन उसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के मामले में अब नरम पड़ता दिख रहा है। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण 1267 समिति की बैठक से पहले चीन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचाने के लिए जो अड़ंगा लगा रहा था उसपर फिर से विचार करेगा। ऐसे में आज इसपर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
अगर चीन अपनी बात पर कायम रहकर वीटो वापस लेता है तो इसे भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जाएगा। क्योंकि भारत लगातर चीन पर प्रेशर बना रहा था कि वह जिस तकनीकी पक्ष की दुहाई देकर अजहर को हर बार बचा रहा है, उससे पीछे हट जाए। बता दें कि पिछले तीन सालों में भारत ने कई बार अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने की मांग संयुक्त राष्ट्र में उठाई, लेकिन हरबार चीन इसमें रुकावट बनता रहा।
खासकर पुलवामा हमले के बाद (जिसकी जिम्मेदारी जैश ने ली थी) अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश चीन पर दवाब बना रहे थे कि वह अजहर पर कोई सख्त स्टैंड ले। पिछले कुछ हफ्तों से भारत की तरफ से इन सभी देशों ने चीन को मनाने का काम किया।
बता दें कि मंगलवार को चीन ने कहा कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के मामले में वैश्विक निकाय की प्रतिबंध समिति में प्रासंगिक विचार-विमर्श जारी है और मामले में ‘थोड़ी प्रगति’ हुई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग से पूछा गया था कि क्या यह मुद्दा बुधवार तक सुलझ जाएगा? इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं केवल यह कह सकता हूं कि मैं विश्वास करता हूं कि इसे समुचित तरीके से सुलझा लिया जाएगा।’
पाकिस्तान को भारत से चहिते सबूत
अजहर पर बैन लगाने के मामले में भारत को संयुक्त राष्ट्र में सभी ताकतवर देशों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन चीन के अलावा पाकिस्तान इसपर राजी नहीं है। मंगलवार को ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का एक बयान सामने आया था कि उन्हें भारत से इस बात का सबूत चाहिए कि पुलवामा हमले में अजहर का हाथ था। मंत्रालय ने कहा था कि इसके बाद ही वह उसपर बैन लगाने के बारे में सोचेंगे।
अजहर पर चीन का कोई बड़ा फैसला लेना भारत के चुनाव पर भी असर डालेगा। माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ बीजेपी फैसले को सरकार के पक्ष में आने पर इसे भुनाने की पूरी कोशिश करेगी। ऐसे में चीन जरूर चाहेगी कि ब्लॉकिंग हटाने पर कोई फैसला चुनाव के बाद ले, लेकिन यूएस, यूके और फ्रांस के प्रेशर के बीच ऐसा मुश्किल है।