हाइलाइट्स
- सीरियल बम धमाकों के विरोध में श्री लंका में मुस्लिम विरोधी दंगे भड़क उठे हैं
- ईसाइयों और मुस्लिमों के बीच हुए सांप्रदायिक संघर्ष में एक व्यक्ति की मौत हो गई
- श्रीलंका के कई हिस्से में मस्जिदों को जलाया गया है और दुकानों पर हमले हुए हैं
इंटरनेशनल डेस्क। श्रीलंका में सीरियल बम धमाकों के विरोध में मुस्लिम विरोधी दंगे भड़क उठे हैं। दंगाइयों ने देश के कई हिस्सों में मस्जिदों और मुसलमानों की दुकानों पर हमले कर उसे आग के हवाले कर दिया। इन हमलों में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। दंगों को रोकने के लिए श्रीलंका सरकार ने रात में सात घंटे के लिए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया और सोशल मीडिया को बैन कर दिया है। उधर, इस बेहद तनावपूर्ण हालात के बीच जनता को बीच मंझधार में छोड़कर श्रीलंका के राष्ट्रपति चीन रवाना हो गए जिसको लेकर उनकी तीखी आलोचना हो रही है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक माराविला हॉस्पिटल पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दंगाइयों की भीड़ ने 42 वर्षीय मोहम्मद अमीर मोहम्मद साली को काट डाला था और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। श्रीलंका के उत्तर-पश्चिम प्रांत के निवासियों ने बताया कि दंगाइयों की भारी भीड़ ने दूसरे दिन भी मुसलमानों की दुकानों और मस्जिदों पर हमला किया। ये हमले ऐसे समय पर हुए हैं जब मुस्लिमों का रमजान का पवित्र महीना चल रहा है।
नौ घंटे के लिए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू
कोट्टामपिटिया इलाके के एक निवासी ने फोन पर बताया, ‘300 के करीब दंगाई हमले कर रहे थे। पुलिस और सेना केवल मूकदर्शक बनी हुई थी। उन्होंने हमारी मस्जिदों को जला दिया और मुसलमानों की कई दुकानों को तोड़ डाला। हम घर से बाहर निकलना चाहते थे लेकिन पुलिस ने कहा कि हम घर में ही रहें।’ उधर, पुलिस ने दंगों को देखते हुए सोमवार रात में नौ घंटे के लिए राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया था।
बताया जा रहा है कि कुरुनेगला जिले में दंगाइयों की भीड़ पूरे सुनियोजित तरीके से एक गांव के बाद दूसरे गांव में हमले कर रही थी। इस इलाके में कर्फ्यू के बाद भी दंगाई खुलेआम घूम रहे हैं और उनसे बचने के लिए मुसलमानों ने आसपास के जंगलों में शरण ले रखी है। इस जिले में करीब 16 लाख लोग रहते हैं जिसमें से करीब सात फीसदी मुस्लिम हैं। पूर्व राष्ट्रपति और विपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे इस इलाके से सांसद हैं।
सोशल मीडिया पर लगा बैन
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश के नाम संबोधन में कहा कि सेना को मुस्लिम विरोधी दंगों को रोकने के लिए कहा गया है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे सुरक्षा बलों का सहयोग करें ताकि स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सके। विक्रमसिंघे ने कहा, ‘जो लोग आपातकाल और कर्फ्यू का उल्लंघन कर रहे हैं, उनसे निपटने के लिए सुरक्षा बलों को पूरे अधिकार दिए गए हैं। ‘
श्रीलंका सरकार ने अल्पसंख्यक मुस्लिमों और बहुसंख्यक सिंहली लोगों के बीच भड़के दंगे को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया है। प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। बताया जा रहा है कि पिछले ईस्टर पर हुए बम धमाकों के बाद देश में यह अब तक की सबसे बड़ी हिंसा है। इस बीच सेना प्रमुख महेश सेनानायके ने कहा है कि सेना ‘अधिकतम बल प्रयोग’ से पीछे नहीं हटेगी।
सिरीसेना के साथ 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चीन रवाना
उधर, देश में चल रहे भीषण दंगों के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना सोमवार को चीन रवाना हो गए। संकट के समय उनके इस कदम से देश के राजनेता और विदेशी राजनयिक स्तब्ध हैं। सिरीसेना के साथ 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चीन गया है जो वहां पर एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेगा। इस कॉन्फ्रेंस में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग अपना भाषण देंगे।
फेसबुक पोस्ट से बिगड़ा माहौल
गौरतलब है कि एक मुस्लिम दुकानदार के फेसबुक पोस्ट को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद चिला शहर में भीड़ ने एक मस्जिद और कुछ दुकानों पर हमला किया था। इस पोस्ट में एक मुस्लिम दुकानदार ने लिखा था, ‘ हंसो मत, एक दिन तुम रोओगे।’ उसके इस पोस्ट को स्थानीय ईसाइयों ने और ज्यादा हमलों की चेतावनी के रूप में लिया था। इस दुकानदार को अब अरेस्ट कर लिया गया है। बता दें कि देश में 21 अप्रैल को तीन गिरजाघरों और तीन लग्जरी होटलों में हुए आत्मघाती हमलों में 253 लोगों की मौत हो गई थी और 500 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इन हमलों के बाद से देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। बम विस्फोटों के बाद से ही देश में राष्ट्रीय आपातकाल लगा हुआ है।
भारत ने लिट्टे पर बढ़ाया प्रतिबंध
श्रीलंका में जारी हिंसा के बीच भारत ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर प्रतिबंध को पांच साल साल के लिए बढ़ा दिया है। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी करके इस पाबंदी को बढ़ाया गया। इसमें कहा गया है कि लिट्टे लगातार भारत विरोधी रुख अपनाए हुए है और देश की सुरक्षा और नागरिकों के लिए गंभीर खतरा है। मंत्रालय ने कहा कि लिट्टे के लोग इंटरनेट पर भारत विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ा रहे हैं। इससे भारत में वीवीआईपी सुरक्षा के लिए खतरा है।