हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट से BSP सुप्रीमोक को झटका, मायावती की याचिका पर अलग से सुनवाई से इनकार
- चीफ जस्टिस ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग को उसकी शक्तियां फिर से मिल गई हैं’
- मायावती के वकील ने 48 घंटे के बैन को हटाने के लिए तर्क दिया कि EC ने उनका पक्ष नहीं जाना
नई दिल्ली। बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर चुनाव आयोग के 2 दिनों तक प्रचार पर रोक को हटाने की अपील पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हमें नहीं लगता इस पर फिर से विचार करने की कोई जरूरत नहीं है। साथ ही चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग के पहले फैसले पर संतोष जताया।
EC के आदेश को बताया उचित- चीफ जस्टिस
मायावती के वकील दुष्यंत दवे ने कहा की चुनाव आयोग ने बिना बीएसपी प्रमुख को अपना पक्ष रखने का मौका दिए एकतरफा कार्रवाई की। आयोग ने दूसरा पक्ष सुने बिना ही उनके चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा दी है। इस आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस ने इस पर कहा कि हमें नहीं लगता कि इसमें कोई आदेश दिया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा कि लगता है चुनाव आयोग को उनकी शक्तियां वापस मिल गई हैं। ऐसी स्थिति में कोर्ट को किसी भी अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने नफरत वाले भाषण मामले के चुनाव आयोग के कदम पर संतुष्टि जाहिर की और कहा कि कोई आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है।
मायावती पर 48 घंटों का आयोग ने लगाया बैन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग से पूछा था कि मायावती और योगी आदित्यनाथ के बयान पर क्या कार्रवाई की तब चुनाव आयोग ने अपने सीमित अधिकार की बात की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद कहा था कि मंगलवार को चुनाव आयोग के अधिकार का परीक्षण करेंगे। इसके बाद सोमवार को ही चुनाव आयोग ने मायावती और योगी के प्रचार पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी थी।
बता दें कि मुसलमानों से महागठबंधन के पक्ष में एकमुश्त वोट करने की अपील बीएसपी सुप्रीमो ने की थी। इस बयान पर दर्ज हुए शिकायत की सुनवाई करते हुए आयोग ने बीएसपी प्रमुख के प्रचार पर 48 घंटे तक के लिए बैन लगाया। मायावती ने सुप्रीम कोर्ट से उन पर चुनाव आयोग द्वारा लगाया गए प्रतिबंध हटाने की मांग की थी।