नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने म्यूचुअल फंड्स के लिए 50 हजार करोड़ रुपए की लिक्विडिटी फैसिलिटी की घोषणा की है। इस घोषणा से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर लिक्विडिटी दबाव को कम करने की कोशिश की गई है। आपको बता दें कि यूएस बेस्ड म्यूचुअल फंड हाउस फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने भारत में 6 डेट फंड्स को बंद कर दिया हैं इससे म्यूचुअल फंड्स में लिक्विडिटी की समस्या होने का डर लोगों का सताने लगा था। इसी को देखते हुए आरबीआई ने सोमवार को म्यूचुअल फंड्स के लिए एक लोन योजना का ऐलान किया है जिससे इंडस्ट्री में लिक्विडिटी का संकट न हो।
11 मई तक करना होगा फंड का उपयोग
म्यूचुअल फंड्स के लिए आईबीआई की लिक्विडिटी फैसेलिटी 27 अप्रैल से लेकर 11 मई, 2020 तक या पूरी रकम का इस्तेमाल होने तक, दोनों में से जो पहले होगा तब तक लागू रहेगी। आरबीआई ने यह भी भरोसा दिलाया कि बाजार के हालात को देखते हुए वह टाइमलाइन और अमाउंट की समीक्षा करेगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि कोविड-19 की वजह से पूंजी बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है। कोरोना महामरी ने म्यूचुअल फंड पर तरलता का दबाव डाला है। इस दबाव को कम करने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए के म्यूचुअल फंड के लिए विशेष तरलता सुविधा देने का निर्णय लिया गया है।
ये स्कीम हुई बंद
फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन इनकम ऑपरच्यूनिटी फंड, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन क्रेटिड रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया टेम्पलटन डायनामिक एक्यूरियल फंड को बंद किया है।
क्यों बंद हुई ये स्कीम?
इन डेट फंडों का निवेश कम रेटिंग वाले बांडों में किया गया था, जहां लिक्विडिटी की बड़ी समस्या थी। ज्यादा रिडेंम्प्शन के कारण फंड ने बांडों को काफी कम मूल्य पर बेचा था जिससे फंड के पोर्टफोलियो के वैल्यू में गिरावट आई। निवेशकों का निवेश तब तक के लिए लॉक हो चुका है, जब तक कि फंड हाउस इसका भुगतान न करे। निवेशकों को उनका पैसा वापस मिलेगा लेकिन इसमे अब कुछ समय लग सकता है।