बिज़नेस डेस्क। रिटायरमेंट या 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद, क्या आपने सोचा है की जिंदगी की जरूरतों के लिए आप पैसे कहां से लाएंगे क्योंकि तब तक तो आप रिटायर हो चुके होंगे? अगर आपके पास इसका कोई जवाब नहीं है तो हमारे पास आपके लिए एक ऑप्शन है नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) का। यह रिटायरमेंट के बाद के दिनों के लिए ही है। NPS में निवेश और इसके रिटर्न के बारे में पूरी जानकारी।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) पैसों का वह पेड़ है जिस पर रिटायरमेंट या 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद पैसे लगते रहते हैं और जिसे आप नौकरियों के दिनों में रोपते और सींचते हैं। अच्छी बात यह है कि इस दौरान यह आपका टैक्स भी बचाता रहता है। यह इन्वेस्टमेंट का एक टूल है जिसमें कुछ बैंकों के जरिए आप अपना पैसा जमा करते हैं और बैंक से जुड़े NPS फंड मैनेजर आपकी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार अलग-अलग स्कीम में निवेश करते हैं। रिटायर होने या 60 साल की उम्र के बाद इस रकम में से आपको बीमा कंपनियों से एन्युटी खरीदनी होती है और इसी से आपको पेंशन मिलती है। शुरू में इसका फायदा सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को मिलता था, लेकिन अब न केवल प्राइवेट जॉब करने वाले बल्कि बिजनेस या दूसरे तरीके से अपनी आजीविका चलाने वाले भी इसका फायदा उठा सकता है। इस स्कीम में शामिल होने की उम्र 18 से 60 साल के बीच है। और हां, कोई व्यक्ति सिर्फ एक ही एनपीएस अकाउंट खोल सकता है।
फंड मैनेजर
ये वे होते हैं जो आपकी जमा रकम को बेहतर ढंग से इन्वेस्ट करते हैं ताकि आपको ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिल सके। NPS अकाउंट खुलवाने के दौरान ही आपको इसका चयन करना होता है। सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त 8 फंड मैनेजर हैं। इनकी नियुक्ति पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) की ओर से की जाती है। ये हैं:
- एचडीएफसी पेंशन मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- रिलायंस कैपिटल पेंशन फंड लिमिटेड
- यूटीआई रिटायरमेंट पेंशन फंड लिमिटेड
- कोटक महिंद्रा पेंशन फंड लिमिटेड
- एलआईसी पेंशन फंड लिमिटेड
- एसबीआई पेंशन फंड्स प्राइवेट लिमिटेड
- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल पेंशन फंड्स मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड
- बिरला सनलाइफ पेंशन मैनेजमेंट लिमिटेड
ऐसे करें फंड मैनेजर का चुनाव
फंड मैनेजर के कारण ही आपका पैसा बढ़ता है और बाद में अच्छा रिटर्न मिलता है। ऐसे में जरूरी है कि आप एक बेहतर फंड मैनेजर चुनें। फंड मैनेजर चुनते समय इन बातों का ध्यान रखें:
AUM पता लगाएं
Assets under management (AUM) का मतलब फंड हाउस की उस रकम से होता है जो लोगों ने की होती है। यह वैल्यू जितनी अधिक होगी, फंड मैनेजर की ओर से रिटर्न मिलने की उम्मीद उतनी ही बेहतर होती है। इसके लिए आप सभी फंड मैनेजर की वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं।
अच्छा रिटर्न न मिलने पर बदलें फण्ड मैनेजर
NPS खाते में जो रकम जमा की जाती है उस पर रिटर्न मिलता है। यह रिटर्न फिक्स नहीं होता और इस बात पर निर्भर करता है कि आपका फंड मैनेजर आपका पैसा किस योजना में लगा रहा है। इसकी जानकारी आपको लगातार दी जाती है। अगर आपका फंड मैनेजर अच्छा रिटर्न नहीं दिलवा पा रहा है तो आप उसे साल में एक बार बदल भी सकते हैं।
ये है एन्युटी
NPS के पूरी होने के बाद आपके पास जो रकम जमा हो जाती है, उसमें से कम से कम 40% पैसा आपको बीमा कंपनी को देना होता है। बीमा कंपनी इस पैसे से आपकी पेंशन शुरू कर देती है। अगर आप चाहें तो बीमा कंपनी को NPS में जमा हुई पूरी रकम भी दे सकते हैं और उसके आधार पर पेंशन शुरू करवा सकते हैं। पेंशन के लिए बीमा कंपनी की दी जाने वाली रकम ही एन्युटी कहलाती है। एन्युटी से पेंशन के लिए इन पांच कंपनियों में से आपको एक चुनना पड़ता है:
- एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
- स्टार यूनियन दायची लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
- लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
- एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
अकाउंट खोल सकते है इन चार सेक्टर में
केंद्रीय कर्मचारी: इसे केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खोला जाता है। इसमें सैलरी (बेसिक) का 14% NPS अकाउंट में जमा किया जाता है।
राज्य सरकारी कर्मचारी: राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के लिए यह खाता खोलती है। इसमें भी सैलरी (बेसिक) का 10% NPS अकाउंट में जमा किया जाता है।
कॉर्पोरेट सेक्टर: इसे प्राइवेट कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए खोलती हैं। इसमें कंपनियां कर्मचारी की सैलरी (बेसिक) का 10% NPS अकाउंट में जमा कराती हैं। अगर कर्मचारी चाहे तो इसके अलावा भी सैलरी का कुछ या पूरा हिस्सा भी NPS अकाउंट में जमा करा सकता है।
ऑल सिटिजन्स मॉडल: इसमें बिजनसमैन, आजीविका चलाने वाले आदि लोग आते हैं। इस सेक्टर में आने वाले लोगों को ऑनलाइन या बैंक जाकर NPS अकाउंट खुलवाना होता है। वे इसमें कितनी भी रकम जमा करा सकते हैं।
पोर्टेबल है NPS अकाउंट
NPS अकाउंट पूरी तरह पोर्टेबल है। हर ग्राहक को एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) उपलब्ध कराया जाता है। यह 12 अंकों का एक नंबर होता है। यही नंबर सभी लेन-देन में काम आता है। नौकरी बदलने पर PRAN को नई कंपनी की सैलरी से जोड़ सकते हैं। इसके लिए कंपनी के एचआर से बात करें। वहीं अगर आप नौकरी छोड़ देते हैं तो आपको बैंक/बीमा कंपनी से संपर्क करना होगा।
ऐसे भी खुलवा सकते है अकाउंट
एनपीएस में दो तरह के अकाउंट होते हैं। पहला टियर-1 और दूसरा टियर-2 है। NPS के लिए सरकार ने देश के लगभग सभी सरकारी और प्राइवेट बैंकों में पॉइंट ऑफ प्रजेंस (पीओपी) बनाए हैं। बैंकों की नजदीकी ब्रांच में जाकर NPS अकाउंट खुलवाया जा सकता है। अपने नजदीकी पीओपी जानने के लिए वेबसाइट www।npscra।nsdl।co।in/pop-sp।php पर जा सकते हैं।
इतना मिलता है टैक्स में फायदा
वैसे तो आप एनपीएस में कितना भी पैसा जमा कर सकते हैं, लेकिन टैक्स छूट की कुछ सीमाएं हैं। इसे ऐसे समझें:
1.NPS के तहत आप साल में अधिकतम 2 लाख रुपये की टैक्स में छूट ले सकते हैं।
2. कंपनी की ओर से NPS में आपकी बेसिक सैलरी का 10% हिस्सा जमा कराया जाता है। यह 80CCD(2) के तहत पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है। यह छूट 80C के अतिरिक्त है। अगर आप इसके अतिरिक्त कुछ रकम NPS मे जमा कराते हैं, तो उस पर आपको धारा 80CCD(1B) के तहत अधिकतम 50 हजार रुपये तक के निवेश पर छूट मिलती है।
3.ऑल सिटिजन्स मॉडल के तहत आने वाले लोग 80C के तहत अधिकतम 50 हजार रुपये तक के निवेश पर छूट का लाभ ले सकते हैं।
कई फैसले आप खुद ले सकते हैं
रिटायरमेंट या 60 साल की उम्र के बाद आप NPS में जमा रकम का अधिकतम 60% हिस्सा आप कैश के रूप में ले सकते हैं। शेष 40% रकम की एन्युटी लेनी होती है। एन्युटी वह रकम होती है जिसमें से आपको पेंशन मिलेगी। आप कितने समय के लिए पेंशन लेना चाहते हैं, इसकी जानकारी उस बैंक/बीमा कंपनी को देनी होती है जहां आपने अकाउंट खुलवा रखा है। जितने समय के लिए आप एन्युटी लेना चाहते हैं, उतने समय तक आपको पेंशन मिलती है। हालांकि पेंशन, रकम निकालने, नॉमिनी आदि से संबंधित कई फैसले आप खुद ले सकते हैं। इसकी कुछ शर्तें होती हैं जो इस प्रकार हैं:
इतनी मिलेगी पेंशन
मान लीजिए रिटायरमेंट या 60 साल की आयु तक आपने NPS के टियर वन खाते में 30 लाख रुपये जमा कर लिए हैं। नियमानुसार इन 30 लाख रुपयों में से आपको कम से कम 40% रकम यानी करीब 12 लाख रुपये की एन्युटी लेनी होगी। बचे हुए करीब 18 लाख रुपये एकमुश्त या 10 साल तक आप 10 किश्तों में ले सकते हैं। अगर आप कुछ भी राशि एकमुश्त नहीं लेना चाहते तो पूरी रकम यानी 30 लाख रुपये की एन्युटी ले सकते हैं। एन्युटी लेते समय आपको अपने बैंक/बीमा कंपनी को बताना होता है कि आप पेंशन कितने समय के लिए लेना चाहते हैं। उसी के अनुसार आपकी पेंशन शुरू की जाती है।
आजीवन हर महीने मिलेंगे 8 हजार रुपये
मान लीजिए आप 12 लाख रुपये की एन्युटी लेते हैं और जिंदगी भर पेंशन लेना चाहते हैं। उस समय एन्युटी की ब्याज दर 8% चल रही है। ऐसे में बीमा कंपनी आप से 12 लाख रुपये लेकर आपको आजीवन हर महीने करीब 8 हजार रुपये देगी। अब आप चाहें 100 साल तक जिएं या 150 साल तक, आपको हर महीने करीब 8 हजार रुपये मिलते रहेंगे।
NPS अकाउंट बीच में ही बंद करने की हैं कुछ शर्ते:
- सिर्फ 20% रकम ही एकमुश्त निकाल सकते हैं।
- शेष 80% रकम की एन्युटी खरीदनी होगी। इससे ही 60 साल की उम्र के बाद हर महीने पेंशन मिलेगी।
- 60 साल या रिटायर होने से पहले मौत होने पर नॉमिनी को पूरी पेंशन की रकम दे दी जाती है।
- अगर आपकी जमा राशि 2 लाख रुपये से कम हैं तो आपको एन्युटी लेने की कोई जरूरत नहीं होगी और पूरा पैसा एकमुश्त मिल जाएगा
- 10 साल से पहले अकाउंट बंद नहीं कर सकते।
मिलेंगी ऑनलाइन सुविधाएं
- हालांकि ऑनलाइन अकाउंट उसी बैंक में खोला जा सकता है जहां आपका पहले से अकाउंट है और जिसका नेट बैंकिंग आप यूज करते हैं क्योंकि इसमें पहली बार राशि नेट बैंकिंग के जरिए ही जमा होती है।
- अगर आपका बैंक NPS की सुविधा नहीं देता तो आप नैशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट की वेबसाइट enps।nsdl।com/eNPS/ पर जाएं। यहां पेज पर राइट में आपको NATIONAL PENSION SYSTEM लिखा दिखेगा। इस पर क्लिक करने के बाद REGISTRATION पर क्लिक कर आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जरूरी डिटेल्स देने के बाद आपका NPS अकाउंट खुल जाएगा। (ऑनलाइन अकाउंट ओपनिंग की अधिक जानकारी के लिए bit।ly/ 2ItNPKq पर जाएं)
- आप इस अकाउंट में पैसे ऑनलाइन भी जमा करा सकते हैं।
ऐप में मिलेगी पूरी जानकारी
- NPS अकाउंट होल्डर ऐप के जरिए भी अपने अकाउंट की पूरी जानकारी रख सकते हैं।
- आप प्ले स्टोर से NSDL नाम से ऐप डानलोड कर सकते हैं। यहां सावधानी रखें और ऐप डाउनलोड करते समय सही ऐप का चयन करें। इसके लिए यहां बगल में दी जा रही ऐप की फोटो देखें।
- इस ऐप के माध्यम से ट्रांजेक्शन स्टेटमेंट, कितना पैसा जमा हो चुका है, फंड मैनेजर बदलना, एसेट क्लास आदि काम भी कर सकते हैं।