- 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत के बाद पीछे हटे चीनी सैनिक।
- शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीनी सैनिकों के तीन इलाकों से पीछे हटने की खबर है।
- लद्दाख में जारी तनाव खत्म करने के लिए इसी सप्ताह अगले दौर की बातचीत होगी।
नई दिल्ली। लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध पर सियासी पारा चढ़ ही रहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से अब अच्छे संकेत मिलने लगे हैं। भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख के तीन अलग-अलग क्षेत्रों से अपने-अपने इलाके में पीछे हट गए हैं। इस सप्ताह होने वाली सैन्य बातचीत से पहले दोनों देशों की तरफ से हुई इस पहल से एक महीने से भी ज्यादा वक्त से जारी तनाव के खत्म होने की उम्मीद बढ़ गई है।
भारत और चीन की सेना के बीच इस सप्ताह पेट्रोलिंग पॉइंट 14, पेट्रोल पॉइंट 15 और हॉट स्प्रिंग्स एरिया समेत लद्दाख के कई अलग-अलग जगहों पर मीटिंग होने वाली है। सरकार के शीर्ष सूत्रों ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि चीन की सेना गलवान वैली, पेट्रोलिंग पॉइंट- 15 और हॉट स्प्रिंग्स एरिया से 2-2.5 किमी पीछे हट चुकी है। सूत्रों ने कहा कि यह 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की हुई बातचीत और होने वाली मीटिंग का असर है।
सूत्रों ने कहा कि चूंकि पहले चीन की सेना ने अपने कदम वापस खींचे तो भारत की सेना ने भी उन इलाकों से अपने कुछ सैनिक और वाहनों को वापस बुला लिया। उनके मुताबिक, तनाव के इन बिंदुओं पर दोनों तरफ से बटालियन कमांडर स्तर की बातचीत हो रही है। चीन से बातचीत के लिए भारतीय सैन्य दल पहले से ही चुसुल में मौजूद हैं जो वरिष्ठ अधिकारियों की मदद कर रहे हैं।
ध्यान रहे कि कुछ जानकार लद्दाख में चीनी सेना के बहुत अंदर तक आने का दावा कर रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग ने कहा है कि चीनी सेना ने लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के अंदर 40 से 60 वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर लिया है। अगर यह सही है तो चीनी सेना के महज 2 से 2.5 किमी पीछे हटना शांतिपूर्वक मुद्दा सुलझाने का संकेत भर ही माना जा सकता है।
बहरहाल, लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध पर देश में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जोर पकड़ने लगा है। केंद्रीय मंत्री गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ओर से कई गई टिप्पणी पर पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिया तो बदले में राहुल ने गंभीर सवाल खड़ा कर दिया। इस बर खेल मंत्री किरण रिजिजू ने उन्हें देश की सैन्य शक्ति पर संदेह करने का आरोप जड़ दिया।