बेंगलुरु। कर्नाटक में लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया पहली बार पार्टी के भीतर बुरी तरह घिरे दिख रहे हैं। सिद्धारमैया पर पार्टी नेताओं की तरफ से चौतरफा वार जारी है। कुछ नेताओं द्वारा पार्टी नेतृत्व से उन पर ऐक्शन लेने का दबाव बनाया जा रहा है तो वहीं कई नेता उनके विरोधी गुट में शामिल हो रहे हैं।
कर्नाटक कांग्रेस में अब खुलकर दो गुट आमने-सामने हैं। सिद्धारमैया को लेकर कई नेताओं ने सीधे तौर पर नाराजगी जाहिर कर दी है। पिछले दिनों रामलिंगा रेड्डी और रोशन बेग ने अपनी उपेक्षा का आरोप सिद्धारमैया पर मढ़ा था। अब पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता एचके पाटिल ने अध्यक्ष राहुल गांधी से अपील की है कि वह प्रदेश कांग्रेस की दिक्कतों को दूर करने के लिए अब खुद हस्तक्षेप करें। सूत्रों के मुताबिक कई नेता सिद्धारमैया के खिलाफ हैं और इसका असर भी पार्टी पर दिख रहा है।
गौरतलब है कि कभी कांग्रेस में बाहर से आने के बावजूद सिद्धारमैया ने ना सिर्फ पार्टी में अपनी मजबूत पकड़ बनाई बल्कि सीएम की कुर्सी तक पहुंचे। यही नहीं कर्नाटक में अपना और पार्टी का कद ऊंचा करने के साथ ही वह आलाकमान के भी काफी करीबी हो गए। खासकर कुरुबा समुदाय से होने के पार्टी के भीतर यह धारणा बनी थी कि वह अहिंदा वोट को पार्टी से जोड़ रहे हैं।
जेडीएस के नेताओं ने भी उठाए सवाल
यही नहीं कांग्रेस के साथ-साथ सरकार में सहयोगी जेडीएस के नेता भी चाहते हैं कि सिद्धारमैया के अधिकारों को सीमित किया जाए। इन नेताओं का भी मानना है कि सिद्धारमैया के कारण इस गठबंधन सरकार के सुचारू रूप से आगे बढ़ने में दिक्कतें आ रही हैं। यहां तक कि एचडी कुमारस्वामी के सीएम बनने के बाद भी कई मौकों से सिद्धारमैया ने ऐसी स्थिति पैदा की, जिससे गठबंधन सरकार को मुश्किलें आईं, फिर चाहें वह सिद्धारमैया को सीएम बनाने को लेकर उनके समर्थकों की मांग और बयानबाजी ही क्यों ना हो।
‘सिद्धारमैया का बर्ताव मतभेद पैदा करने वाला’
एक पूर्व मंत्री का कहना हैं कि , ‘पिछले एक साल में सिद्धारमैया का बर्ताव एक जिम्मेदार राजनेता की जगह मतभेद पैदा करने वाले के रूप में अधिक रहा है। चुनावों में इसका पार्टी को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। पार्टी नेतृत्व को इस बारे में जरूर ध्यान देना चाहिए।’