इंटरनेशनल डेस्क। रक्तदान यानी ब्लड डोनेशन, रक्तदान को महादान सिर्फ इसलिए ही कहा गया है क्योंकि ऐसा करने से आप खून देकर न केवल दूसरों की जान बचाते है, बल्कि इससे आपकी सेहत को भी कई तरह से फायदा होता है। इससे आपका स्ट्रेस कम होता है, आप इमोशनली बेहतर महसूस करते हैं इसके साथ ही आप नेगेटिव फीलिंग्स से दूर होते है , इसके साथ ही रक्तदान करने से दिल से जुड़ी बीमारियों और हार्ट अटैक का खतरा भी काम हो जाता है ।
6 महीने एक बार ही करना चाहिए रक्तदान
आमतौर पर लोग डरते हैं कि रक्तदान करने से आदमी कमजोर हो सकता है, लेकिन डॉक्टर बताते हैं कि रक्तदान करने से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता, बल्कि इससे हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर का खतरा बेहद कम हो जाता है। सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता ने बताया कि 18 से 55 वर्ष तक का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। इससे किसी तरह की कमजोरी नहीं आती है। रक्तदान से शरीर में रक्त की जो कमी होती है उसे शरीर कुछ ही घंटों में पूरा कर लेता है। हालांकि रक्त के लाल कण बनने में 3 से 6 महीने लग जाते हैं। इसलिए 6 महीने एक बार ही रक्तदान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि नियमित रक्दान करने वालों को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा बेहद कम रहता है। कोलंबिया एशिया अस्पताल के डॉ. विनय भट्ट बताते हैं कि रक्तदान से कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ में सुधार होता है। खासकर पुरुषों के नियमित रक्तदान करने से उन्हें रक्त में आयरन की मात्रा कम करने में मदद मिलती है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
नियमित रक्तदान करने से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से मिलती है निजात
दरअसल, लगातार ब्लड डोनेट करते रहने से खून का गाढ़ापन भी कम होता है जिससे दिल से जुड़ी बीमारियां नहीं होती। साल 2013 की एक स्टडी में यह बात सामने आयी थी कि अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से ब्लड डोनेशन करता है तो उसके शरीर में टोटल कलेस्ट्रॉल और लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कलेस्ट्रॉल का लेवल भी कम हो जाता है जिससे कार्डियोवस्क्युलर डिजीज यानी दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी स्टडी में बताया है कि नियमित रूप से रक्तदान करने वाले लोगों में हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है।