नई दिल्ली। पाकिस्तान की मनमानी पर विदेश मंत्रालय ने सख्त रवैया अख्तियार किया है। भारत सरकार ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के प्रबंधन और रखरखाव में पाकिस्तान के दखल पर कड़ी आपत्ति जताई है। इस संबंध में आज (शुक्रवार) विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के राजनयिक को तलब किया। गौरतलब है कि पाकिस्तान की इमरान सरकार ने बड़ी चाल चलते हुए करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के प्रबंधन की जिम्मेदारी पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से लेकर गैर-सिख निकाय को सौंप दिया है। इस सिलसिले में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भारतीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिख आपत्ति जताई थी।
डीएसजीएमसी ने अपने पत्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर को बताया कि पाकिस्तान सरकार गुरुद्वारा मामलों हस्तक्षेप कर रही है। केंद्रीय मंत्री से आग्रह है कि वह पाकिस्तान सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाएं। इसी कड़ी में गुरुवार को डीएसजीएमसी के प्रमुख मनजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में कमेटी के प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त सचिव जे पी सिंह से भी मुलाकात की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए अब पाकिस्तान के राजनयिक के समक्ष अपना विरोध व्यक्त किया है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले को लेकर कहा है कि हमने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा की प्रबंधन समिति को बदले जाने को लेकर रिपोर्ट देखी हैं। सिखों से लेकर दूसरी कमेटी को ये जिम्मेदारी दे दी गई है। ये पूरी तरह से निदंनीय है। ये अल्पसंख्यक सिखों की धार्मिक भावनाओं को भी आहत करने वाला है। इस कदम से पाक में अल्पसंख्यकों की स्थिति और वहां की सरकार का इस ओर रुख भी पता चलता है। विदेश मंत्रालय ने पाक सरकार से इस फैसले को वापस लेने को कहा है। वहीं, इस मामले पर शिरोमणि अकाली दल की सांसद और पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा है कि पाकिस्तान ने श्री करतारपुर साहिब की मैनेजमेंट गुरुद्वारा कमेटी से लेकर एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कमेटी को देने का फैसला किया है।
विदेश मंत्रालय के दखल के बाद अब पाकिस्तान का जवाब क्या होगा, ये देखने वाली बात होगी।