नई दिल्ली। बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, पार्टी सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र की स्थिति को जानती है और बीजेपी उन मुद्दों पर ध्यान दे रही है जो गुर्जर और जाट वोटों को एकजुट कर सके। सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो जाट युवकों की 2013 दंगों के दौरान हुई मौत का मामला छेड़ते हुए मुजफ्फरनगर दंगे को याद दिलाया था। वहीं हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने अजित सिंह पर निशाना साधा है उन्होंने कहा कि है की वह ‘दंगाइयों’ के साथ हैं।
मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बदला है माहौल
राजनीतिक विश्लेषक जेपी शुक्ला ने बताया, ‘चौधरी चरण सिंह के समय हिंदू और मुस्लिम जाट साथ में हुआ करते थे लेकिन मुजफ्फरनगर दंगों के बाद समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। इसके घाव अभी भी हरे हैं।’
उनके अनुसार, जाट-गुर्जर का एकजुट होना बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है जो हिंदुत्व कार्ड खेल रही है, खासकर पिछले दिनों देवबंद में बीएसपी सुप्रीमो मायावती के उस बयान के बाद से जिसमें उन्होंने मुस्लिम वोटों को एकजुट रहने की अपील की थी। यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने विपक्ष पर जाति और धर्म का मुद्दा उठाकर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया था। बीजेपी ने चुनाव आयोग में शिकायत भी दर्ज कराई थी।
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