नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा किसानों को मानाने की हर योजना विफल होती नजर आ रहीं हैं। सिंघु बॉर्डर पर क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा, जो सरकार की तरफ से प्रस्ताव आया है उसे हम पूरी तरह से रद्द करते हैं। उन्होंने कहा पूरे देश में रोज प्रदर्शन होगा। पंजाब,हरियाणा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 14 तारीख को धरने लगाए जाएंगे जो धरने नहीं लगाएगा वो दिल्ली को कूच करेगा। 12 तारीख को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर रोक लगाया जाएगा।
किसानों का कहना है पहले हम प्रस्ताव को पढ़ेंगे, फिर इस पर चर्चा के बाद कोई फैसला लिया जाएगा। प्रस्ताव लगभग 20 पन्नों का है । वहीं किसानों को उनकी फसलों का डेढ़ गुना एमएसपी देने का दावा करने वाली मोदी सरकार ने बार-बार दोहराया है कि एमएसपी पर फसलों की खरीद पूर्ववत जारी रहेगी और अभी भी इस मसले पर सरकार का रुख बरकरार है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि एमएसपी के मसले पर सरकार किसानों को आश्वासन देने को तैयार है।
कोरोना काल में कृषि के क्षेत्र को ज्यादा तवज्जो देते हुए केंद्र सरकार ने इसमें सुधार लाकर किसानों के जीवन में आमूलचूल बदलाव लाने के मकसद से तीन नये कृषि कानून लागू किए। मगर, इन तीनों कानूनों का संसद से शुरू हुआ विरोध अब सड़कों पर है और 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसान संगठनों का प्रदर्शन चल रहा है। किसान संगठनों के नेता तीनों कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे हैं और इसके लिए नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। किसानों की यह भी आशंका है कि नये कानून के बाद कि एमएसपी पर खरीद बंद हो जाएगी।
केन्द्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज करते हुए जहां किसानों ने 14 दिसम्बर को देशभर में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। ऐसे में केन्द्र सरकार की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ती नजर आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर किसानों ने अम्बानी और अडानी पर हमला बोलते हुए उनका विरोध दर्ज कराया है। अब देखना होगा कि आगे सरकार क्या कदम उठाती है?