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सर्विस टैक्स की आड़ में सर्विस चार्ज वसूल रहे होटल और रेस्टोरेंट

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नई दिल्ली। होटल-रेस्टोरेंट्स की फूड बिलिंग में सर्विस चार्ज का कोई वैधानिक कंपोनेंट नहीं होने और उपभोक्ता मंत्रालय के सख्त निर्देशों के बाद भी ग्राहकों से 10-20% तक सर्विस चार्ज वसूला जा रहा है। बहुत कम ग्राहक ही इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं, लेकिन जितनी शिकायतें आ रही हैं, उनमें से भी सिर्फ 10% का निपटारा हो पाता है। कानूनी प्रावधानों के अभाव में संबंधित विभाग शिकायतकर्ताओं को कंज्यूमर कोर्ट जाने की सलाह दे रहे हैं जबकि कुछ मामले इनकम टैक्स विभाग को रेफर कर रहे हैं।

मंत्रालय ने 57 होटलों से जवाब तलब किया
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बीते एक साल में ग्राहकों की शिकायतों के आधार पर दिल्ली के 57 होटलों या रेस्टोरेंट्स से जवाब तलब किया है। इनमें से सिर्फ 7 ने गलती मानते हुए ग्राहकों का पैसा लौटाया, जबकि एक ने इस आधार पर पैसा नहीं लौटाया कि रेस्टोरेंट में और मेन्यू कार्ड पर साफ-साफ लिखा है कि यहां सर्विस चार्ज लगता है।

मंत्रालय दो बार अडवाइजरी जारी कर चुका
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय दो बार अडवाइजरी जारी कर चुका है कि सर्विस चार्ज स्वैच्छिक है और कोई होटल या रेस्टोरेंट ग्राहक को इसके भुगतान के लिए बाध्य नहीं कर सकता। जिन होटलों को ग्राहक अपनी मर्जी से सर्विस चार्ज चुकाते हैं, उन्हें भी यह रकम ‘टिप’ के रूप में कर्मचारियों में वितरित करनी होगी या उनके कल्याण पर खर्च करना होगा। जो प्रतिष्ठान ऐसा नहीं करेंगे, उन्हें यह रकम टैक्सेबल इनकम में दिखानी होगी और इनकम टैक्स विभाग उनके खातों की जांच कर सकता है।

जांच के लिए मामले इनकम टैक्स को रेफर
अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के ग्राहकों से अप्रैल 2018 से मार्च 2019 के बीच सर्विस चार्ज की 69 शिकायतें मिलीं हैं। जिन होटल या रेस्टोरेंट ने नोटिस का जवाब नहीं दिया है, उनमें से अधिकतर की जांच के लिए मामले इनकम टैक्स को रेफर किए जा रहे हैं। चूंकि रेस्टोरेंट की बिलिंग में सिर्फ जीएसटी एक कंपोनेंट रह गया है, ऐसे में जिन प्रतिष्ठानों ने अपनी कमाई के मकसद से बिल में 10-20% तक सर्विस चार्ज वसूला होगा, उनके लिए यह रकम छिपानी मुश्किल होगी। ग्राहक चाहें तो कंज्यूमर कोर्ट में अपील कर अतिरिक्त क्षतिपूर्ति मांग सकते हैं। विभाग ज्यादा से ज्यादा इसे इनकम टैक्स को ही रेफर कर सकता है। एक इंडस्ट्री सर्वे में हाल में कहा गया था कि सिर्फ 12% ग्राहक सर्विस चार्ज पर ऐतराज करते हैं। गौरतलब है कि जीएसटी से पहले बिलिंग कंपोनेंट में वैट के साथ सर्विस टैक्स भी हुआ करता था और रेस्टोरेंट सर्विस टैक्स की आड़ में सर्विस चार्ज भी वसूल लेते थे। कई ग्राहक दोनों के बीच अंतर नहीं समझ पाते थे।

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