- चीन से सटी सीमाओं के हालात जानने को राजनाथ सिंह ने की मीटिंग।
- मीटिंग में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल।
- राजनाथ सिंह ने चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा।
- चीन के साथ लगती सीमा की रक्षा के लिए भारत अब से अलग सामरिक तरीके अपनाएगा।
नई दिल्ली। अब लाइन ऑफ ऐक्चुल कंट्रोल पर चीन का कोई भी दुस्साहस उसे भारी पड़ सकता है। क्योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को चीन की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए फ्री कर दिया है। सेना को स्थिति के मुताबिक एक्शन लेने की छूट पहले भी दी गई थी, लेकिन अब राजनाथ सिंह ने साफ कह दिया है कि सेना चीन की हर हरकत का जवाब देने के लिए तैयार रहे। यह भी जानकारी मिली है कि चीन के साथ लगती सीमा की रक्षा के लिए भारत अब से अलग सामरिक तरीके अपनाएगा।
सरकारी सूत्रों ने पूर्वी लद्दाख सीमा पर जारी हालात की समीक्षा के लिए राजनाथ सिंह की सैन्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक के बाद बताया कि चीन से लगी करीब 3500 किमी लंबी सीमा पर तैनात सशस्त्र बलों को चीन के किसी भी दुस्साहस का माकूल जवाब देने की पूरी आजादी दी गई है। इस बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे, नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह और एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने हिस्सा लिया।
हर हरकत पर पैनी नजर
सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन की हर हरकत का जवाब देने के लिए सेना तैयार रहे। सेना प्रमुखों से चीन की हर हरकत पर पैनी नजर रखने को कहा गया है। राजनाथ सिंह ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अगर चीन के सेना कोई दुस्साहस करती है तो इसका तुरंत करारा जवाब दिया जाना चाहिए।
गलवान घाटी में हिंसक झड़प
पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में भारत और चीन की सेनाएं पिछले छह सप्ताह से आमने-सामने हैं। 15 जून की रात यह तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया जब गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए और 76 अन्य घायल हो गए। इसमें चीन के भी 43 सैनिक हताहत हुए लेकिन उसने आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा है।
पैंगोंग झील पर बढ़ सकता है तनाव
गलवान घाटी में मन की नहीं कर पाने के बाद चीन बौखला गया है। अब उसने पैंगोंग झील के 8 किलोमीटर इलाके को ब्लॉक किया है। ऐसे में एक्सपर्ट्स को आशंका है कि अगला विवाद पैंगोंग झील पर ही हो सकता है। यहां 5 और 6 मई को सेनाओं के बीच झड़प हो चुकी है। लेकिन अगर इस बार ऐसा हुआ तो वह धक्कामुक्की, पत्थरबाजी और डंडों तक सीमित रहना मुश्किल है।
फिलहाल गलवान घाटी में भारतीय सेना भी पूरी तरह सतर्क है। थल और वायु सेना दोनों हाई-अलर्ट पर हैं। चीन की किसी भी गुस्ताखी का जवाब देने की सेना को मोदी सरकार ने पूरी छूट दी है।