नई दिल्ली। नेताओं के आपत्तिजनक भाषणों पर चुनाव आयोग की कार्रवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संतुष्टि जताई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि लगता है, चुनाव आयोग को उनकी शक्तियां वापस मिल गई हैं। ऐसी स्थिति में कोर्ट को किसी अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं। आज कोई आदेश पारित नहीं करेंगे। इससे पहले सोमवार को कार्रवाई में देरी को लेकर कोर्ट ने आयोग को फटकार लगाई थी।
शीर्ष अदालत शारजाह (यूएई) की एक एनआरआई योगा टीचर मनसुखानी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में ऐसे नेताओं के खिलाफ कड़े एक्शन की मांग की गई थी, जो चुनाव के दौरान जाति-धर्म के आधार पर टिप्पणियां कर रहे हैं। अदालत ने 8 अप्रैल को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा था।
आयोग ने कहा- कार्रवाई के मामले में शक्तिहीन हैं
सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने जब उत्तरप्रदेश में नेताओं द्वारा धार्मिक और विवादित बयान दिए जाने पर आयोग से कार्रवाही के बारे में पूछा तो आयोग ने कहा कि हम ऐसे मामलों में सिर्फ नोटिस भेजकर जवाब मांग सकते हैं। इस पर नाराज बेंच ने कहा कि वास्तव में आप यह कहना चाह रहे हैं कि आप शक्तिहीन हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ाई के बाद आयोग ने की कार्रवाही
सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद चुनाव आयोग ने सोमवार को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा प्रमुख मायावती पर 48 और 72 घंटे तक चुनाव प्रचार करने की रोक लगाई थी। कुछ घंटे बाद ही आयोग ने भाजपा नेता मेनका गांधी और सपा नेता आजम खान पर भी 48 और 72 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने की माया की अपील ख़ारिज
बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रचार पर रोक के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। उनके वकील ने कहा कि आयोग ने मायावती का पक्ष सुने बगैर एकतरफा कार्रवाई की है। यह आदेश रद्द किया जाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि इस मामले में कोई आदेश दिया जाना चाहिए।