चेन्नई। एक हफ्ते पहले मौसम वैज्ञानिकों ने दक्षिणी हिंद महासागर में निम्न दबाव की स्थिति की पहचान की थी। 5 भारतीय सैटलाइटों ने उस दबाव क्षेत्र पर लगातार नजर बनाए रखी जो फोनी चक्रवाती तूफान का रूप ले रहा था।
सैटलाइट हर 15 मिनट पर ग्राउंड पर डेटा बेझ रहे थे
फोनी ‘अत्यंत भीषण चक्रवात’ का रूप लेता जा रहा था, उधर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) द्वारा भेजे गए सैटलाइट हर 15 मिनट पर ग्राउंड स्टेशन पर डेटा भेज रहे थे। इस डेटा से फोनी को ट्रैक करने, उसके मूवमेंट के बारे में सटीक पूर्वानुमान लगाने और इस तरह सैकड़ों जिंदगियों को बचाने में मदद मिली।
बारिश वाले बादल 100 से 200 किलोमीटर के दायरे में थे
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, फोनी की तीव्रता, लोकेशन और उसके आस-पास बादलों के अध्ययन के लिए Insat-3D, Insat-3DR, Scatsat-1, Oceansat-2 और मेघा ट्रॉपिक्स सैटलाइटों द्वारा भेजे गए डेटा का इस्तेमाल किया गया। फोनी के केंद्र के 1,000 किलोमीटर के दायरे में बादल छाए हुए थे, लेकिन बारिश वाले बादल सिर्फ 100 से 200 किलोमीटर के दायरे में थे। बाकी बादल करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर थे।
सैटलाइटों का पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण भूमिका
IMD के डायरेक्टर जनरल के.जे। रमेश ने बताया कि सैटलाइटों का पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण भूमिका है, खासकर तूफान के दौरान। इनके द्वारा भेजे गए डेटा से हमें सटीक पूर्वानुमान जारी करने में मदद मिलती है।
लाखों लोग को फोनी से बचाया गया
सैटलाइटों के डेटा के हिसाब में IMD ने इस बात का सटीक पूर्वानुमान लगाया कि फोनी किस जगह पर लैंडफॉल करेगा। इस वजह से ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने 11.5 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट कर दिया। Scatsat-1 से भेजे गए डेटा से चक्रवाती तूफान के केंद्र पर नजर रखी गई, वहीं Oceansat-2 समुद्री सतह, हवा की गति और दिशा के बारे में डेटा भेज रहा था।